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मसीह येशु का बन्दी बनाया जाना

(मत्ति 26:47-56; मारक 14:43-52; लूकॉ 22:47-53)

18 इन बातों के कहने के बाद मसीह येशु अपने शिष्यों के साथ किद्रोन घाटी पार कर एक बगीचे में गए.

यहूदाह, जो उनके साथ धोखा कर रहा था, उस स्थान को जानता था क्योंकि मसीह येशु वहाँ अक्सर अपने शिष्यों से भेंट किया करते थे. तब यहूदाह रोमी सैनिकों का दल, प्रधान पुरोहितों तथा फ़रीसियों के सेवकों के साथ वहाँ आ पहुँचा. उनके पास लालटेनें, मशालें और शस्त्र थे.

मसीह येशु ने यह जानते हुए कि उनके साथ क्या-क्या होने पर है, आगे बढ़कर उनसे पूछा, “तुम किसे खोज रहे हो?”

“नाज़रेथवासी येशु को,” उन्होंने उत्तर दिया.

मसीह येशु ने कहा, “मैं वही हूँ.” विश्वासघाती यहूदाह भी उनके साथ था. जैसे ही मसीह येशु ने कहा “मैं वही हूँ,” वे पीछे हटे और गिर पड़े.

मसीह येशु ने दोबारा पूछा, “तुम किसे खोज रहे हो?” वे बोले, “नाज़रेथवासी येशु को.”

मसीह येशु ने कहा, “मैं तुमसे कह चुका हूँ कि मैं वही हूँ. इसलिए यदि तुम मुझे ही खोज रहे हो तो इन्हें जाने दो.” यह इसलिए कि स्वयं उनके द्वारा कहा गया यह वचन पूरा हो “आपके द्वारा सौंपे हुओं में से मैंने किसी एक को भी न खोया.”

10 शिमोन पेतरॉस ने, जिनके पास तलवार थी, उसे म्यान से खींच कर महायाजक के एक सेवक पर वार कर दिया जिससे उसका दाहिना कान कट गया. उस सेवक का नाम मालखॉस था.

11 यह देख मसीह येशु ने पेतरॉस को आज्ञा दी, “तलवार म्यान में रखो! क्या मैं वह प्याला न पिऊँ जो पिता ने मुझे दिया है?”

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