लूकॉ 3
Saral Hindi Bible
बपतिस्मा देने वाले योहन का उपदेश
(मत्ति 3:1-12; मारक 1:1-8)
3 सम्राट कयसर तिबेरियॉस के शासनकाल के पन्द्रहवें वर्ष में जब पोन्तियॉस पिलातॉस यहूदिया प्रदेश का, हेरोदेस गलील प्रदेश का, उसका भाई फ़िलिप्पॉस इतूरिया और त्रख़ोनीतिस प्रदेश का 2 तथा लिसनियस एबिलीन का राज्यपाल था तथा जब हन्ना और कायाफ़स महायाजक पद पर थे; ज़कर्याह के पुत्र योहन को, जब वह जंगल में थे, परमेश्वर की ओर से एक सन्देश प्राप्त हुआ. 3 इसलिए योहन यरदन नदी के आस-पास के सभी क्षेत्र में भ्रमण करते हुए पाप-क्षमा के लिए पश्चाताप के बपतिस्मा का प्रचार करने लगे; 4 जैसी बपतिस्मा देने वाले योहन के विषय में भविष्यद्वक्ता यशायाह की भविष्यवाणी है:
जंगल में पुकारती हुई आवाज़
प्रभु के लिए मार्ग तैयार करो.
उनके लिए रास्ते सीधे बनाओ.
5 हर एक घाटी भर दी जाएगी,
हर एक पर्वत और पहाड़ी समतल की जाएगी.
टेढ़े रास्ते सीधे हो जाएँगे तथा असमतल पथ समतल.
6 हर एक मनुष्य के सामने परमेश्वर का उद्धार स्पष्ट हो जाएगा.
7 बपतिस्मा लेने के उद्देश्य से अपने पास आई भीड़ को सम्बोधित करते हुए योहन कहते थे, “अरे ओ विषैले सर्पों की सन्तान! तुम्हें आनेवाले महाक्रोध से बच कर लौटने की चेतावनी किसने दे दी? 8 सच्चे मन फिराने का प्रमाण दो और इस भ्रम में स्वयं को धोखा न दो: ‘हम तो अब्राहाम की सन्तान हैं!’ क्योंकि यह समझ लो कि परमेश्वर में इन पत्थरों तक से अब्राहाम की सन्तान उत्पन्न करने का सामर्थ्य है. 9 पहले ही वृक्षों की जड़ पर कुल्हाड़ी रखी हुई है. हर एक ऐसा पेड़, जिसका फल अच्छा नहीं है, काटा और आग में झोंक दिया जाता है.”
10 इस पर भीड़ ने उनसे प्रश्न किया, “तब हम क्या करें?”
11 योहन ने उन्हें उत्तर दिया, “जिस व्यक्ति के पास दो कुर्ते हैं, वह एक उसे दे दे, जिसके पास एक भी नहीं है. जिसके पास भोजन है, वह भी यही करे.”
12 चुँगी लेने वाले भी बपतिस्मा के लिए उनके पास आए और उन्होंने योहन से प्रश्न किया, “गुरुवर! हमारे लिए उचित क्या है?”
13 “निर्धारित राशि से अधिक मत लो.” योहन ने उत्तर दिया. 14 कुछ सिपाहियों ने उनसे प्रश्न किया, “हमें बताइए—हम क्या करें?”
योहन ने उत्तर दिया, “न तो डरा-धमका कर लोगों से पैसा ऐंठो और न ही उन पर झूठा आरोप लगाओ परन्तु अपने वेतन में ही सन्तुष्ट रहो.”
15 बड़ी जिज्ञासा के भाव में भीड़ यह जानने का प्रयास कर रही थी और अपने-अपने हृदय में यही विचार कर रहे था कि कहीं योहन ही तो मसीह नहीं हैं. 16 भीड़ को सम्बोधित करते हुए योहन ने स्पष्ट किया, “मेरा बपतिस्मा तो मात्र जल-बपतिस्मा है किन्तु एक मुझसे अधिक शक्तिमान आ रहे हैं. मैं तो उनकी जूतियों के बन्ध खोलने योग्य भी नहीं. वही हैं, जो तुम्हें पवित्रात्मा और आग में बपतिस्मा देंगे. 17 वह गेहूं को निरुपयोगी भूसी और डण्ठल से अलग करते हैं. वह गेहूं को खलिहान में इकट्ठा करेंगे तथा भूसी को कभी न बुझनेवाली आग में स्वाहा कर देंगे.” 18 योहन अनेक प्रकार से शिक्षा देते हुए लोगों में सुसमाचार का प्रचार करते रहे.
19 जब योहन ने राज्यपाल हेरोदेस को उसके भाई की पत्नी हेरोदिअस के विषय में तथा स्वयं उसी के द्वारा किए गए अन्य कुकर्मों के कारण फटकार लगाई, 20 तब हेरोदेस ने एक और कुकर्म किया: उसने योहन ही को बन्दी बना कर कारागार में डाल दिया.
मसीह येशु का बपतिस्मा
(मत्ति 3:13-17; मारक 1:9-11)
21 जब लोग योहन से बपतिस्मा ले रहे थे, उन्होंने मसीह येशु को भी बपतिस्मा दिया. इस अवसर पर, जब मसीह येशु प्रार्थना कर रहे थे, स्वर्ग खोल दिया गया 22 और पवित्रात्मा मसीह येशु पर शारीरिक रूप में कबूतर के समान उतरे और स्वर्ग से निकला एक शब्द सुना गया: “तुम मेरे पुत्र हो—मेरे प्रिय. मैं तुममें पूरी तरह संतुष्ट हूँ.”
मसीह येशु की वंशावली
(मत्ति 1:1-17)
23 मसीह येशु ने जब अपनी सेवकाई प्रारम्भ की तब उनकी अवस्था लगभग तीस वर्ष की थी. जैसा समझा जाता है कि वह योसेफ़ के पुत्र हैं,
योसेफ़ हेली के, हेली मत्ताथा के
24 मत्ताथा लेवी के, लेवी मेल्ख़ी के,
मेल्ख़ी यन्नाई के, यन्नाई योसेफ़ के,
योसेफ़ मत्ताथियाह के,
25 मत्ताथियाह आमोस के, आमोस नहूम के,
नहूम ऍस्ली के, ऍस्ली नग्गाई के,
26 नग्गाई माहथ के, माहथ मत्ताथियाह के,
मत्ताथियाह सेमेई के, सेमेई योसेख़ के,
योसेख़ योदा के, 27 योदा योअनान के,
योअनान रेसा के, रेसा ज़ेरुब्बाबिल के,
ज़ेरुब्बाबिल सलाथिएल के, सलाथिएल नेरी के,
28 नेरी मेल्ख़ी के, मेल्ख़ी अद्दी के,
अद्दी कोसम के, कोसम एल्मोदम के,
एल्मोदम एर के, 29 एर योसेस के,
योसेस एलिएज़र के, एलिएज़र योरीम के,
योरीम मथ्थात के, मथ्थात लेवी के,
30 लेवी शमौन के, शमौन यहूदाह के,
यहूदाह योसेफ़ के, योसेफ़ योनन के,
योनन एलिआकिम के 31 एलिआकिम मेलिया के,
मेलिया महीनन के, महीनन मत्ताथा के,
मत्ताथा नाथान के, 32 नाथान दाविद के,
दाविद यिश्शै के, यिश्शै ओबेद के,
ओबेद बोअज़ के, बोअज़ सलमोन के,
सलमोन नाहश्शोन के, नाहश्शोन अम्मीनादाब के,
33 अम्मीनादाब आदमीन के, आदमीन आरनी के,
आरनी हेस्रोन के, हेस्रोन फ़ारेस के,
फ़ारेस यहूदाह के, 34 यहूदाह याक़ोब के,
याक़ोब इसहाक के, इसहाक अब्राहाम के,
अब्राहाम थेराह के, थेराह नाख़ोर के,
35 नाख़ोर सेरूख़ के, सेरूख़ रागाउ के,
रागाउ फ़ालेक के, फ़ालेक ईबर के,
ईबर शेलाह के, 36 शेलाह केनन के,
केनन अरफ़ाक्षाद के, अरफ़ाक्षाद शेम के,
शेम नोहा के, नोहा लामेख़ के,
37 लामेख़ मेथुसेलाह के, मेथुसेलाह हनोक,
हनोक यारेत के, यारेत मालेलेईल के,
मालेलेईल काईनम के, 38 काईनम ईनॉश के,
ईनॉश सेथ के, सेथ आदम के और
आदम परमेश्वर के पुत्र थे.
लूका 3
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
यूहन्ना का संदेश
(मत्ती 3:1-12; मरकुस 1:1-8; यूहन्ना 1:19-28)
3 तिबिरियुस कैसर के शासन के पन्द्रहवें साल में जब
यहूदिया का राज्यपाल पुन्तियुस पिलातुस था
और उस प्रदेश के चौथाई भाग के राजाओं में हेरोदेस गलील का,
उसका भाई फिलिप्पुस इतूरैया और त्रखोनीतिस का,
तथा लिसानियास अबिलेने का अधीनस्थ शासक था।
2 और हन्ना तथा कैफा महायाजक थे, तभी जकरयाह के पुत्र यूहन्ना के पास जंगल में परमेश्वर का वचन पहुँचा। 3 सो यर्दन के आसपास के समूचे क्षेत्र में घूम घूम कर वह पापों की क्षमा के लिये मन फिराव के हेतु बपतिस्मा का प्रचार करने लगा। 4 भविष्यवक्ता यशायाह के वचनों की पुस्तक में जैसा लिखा है:
“किसी का जंगल में पुकारता हुआ शब्द:
‘प्रभु के लिये मार्ग तैयार करो
और उसके लिये राहें सीधी करो।
5 हर घाटी भर दी जायेगी
और हर पहाड़ और पहाड़ी सपाट हो जायेंगे
टेढ़ी-मेढ़ी और ऊबड़-खाबड़ राहें
समतल कर दी जायेंगी।
6 और सभी लोग परमेश्वर के उद्धार का दर्शन करेंगे!’”(A)
7 यूहन्ना उससे बपतिस्मा लेने आये अपार जन समूह से कहता, “अरे साँप के बच्चो! तुम्हें किसने चेता दिया है कि तुम आने वाले क्रोध से बच निकलो? 8 परिणामों द्वारा तुम्हें प्रमाण देना होगा कि वास्तव में तुम्हारा मन फिरा है। और आपस में यह कहना तक आरंभ मत करो कि ‘इब्राहीम हमारा पिता है।’ मैं तुमसे कहता हूँ कि परमेश्वर इब्राहीम के लिये इन पत्थरों से भी बच्चे पैदा करा सकता है। 9 पेड़ों की जड़ों पर कुल्हाड़ा रखा जा चुका है और हर उस पेड़ को जो उत्तम फल नहीं देता, काट गिराया जायेगा और फिर उसे आग में झोंक दिया जायेगा।”
10 तब भीड़ ने उससे पूछा, “तो हमें क्या करना चाहिये?”
11 उत्तर में उसने उनसे कहा, “जिस किसी के पास दो कुर्ते हों, वह उन्हें, जिसके पास न हों, उनके साथ बाँट ले। और जिसके पास भोजन हो, वह भी ऐसा ही करे।”
12 फिर उन्होंने उससे पूछा, “हे गुरु, हमें क्या करना चाहिये?”
13 इस पर उसने उनसे कहा, “जितना चाहिये उससे अधिक एकत्र मत करो।”
14 कुछ सैनिकों ने उससे पूछा, “और हमें क्या करना चाहिये?”
सो उसने उन्हें बताया, “बलपूर्वक किसी से धन मत लो। किसी पर झूठा दोष मत लगाओ। अपने वेतन में संतोष करो।”
15 लोग जब बड़ी आशा के साथ बाट जोह रहे थे और यूहन्ना के बारे में अपने मन में यह सोच रहे थे कि कहीं यही तो मसीह नहीं है,
16 तभी यूहन्ना ने यह कहते हुए उन सब को उत्तर दिया: “मैं तो तुम्हें जल से बपतिस्मा देता हूँ किन्तु वह जो मुझ से अधिक सामर्थ्यवान है, आ रहा है, और मैं उसके जूतों की तनी खोलने योग्य भी नहीं हूँ। वह तुम्हें पवित्र आत्मा और अग्नि द्वारा बपतिस्मा देगा। 17 उसके हाथ में फटकने की डाँगी है, जिससे वह अनाज को भूसे से अलग कर अपने खलिहान में उठा कर रखता है। किन्तु वह भूसे को ऐसी आग में झोंक देगा जो कभी नहीं बुझने वाली।” 18 इस प्रकार ऐसे ही और बहुत से शब्दों से वह उन्हें समझाते हुए सुसमाचार सुनाया करता था।
यूहन्ना के कार्य की समाप्ति
19 बाद में यूहन्ना ने उस चौथाई प्रदेश के अधीनस्थ राजा हेरोदेस को उसके भाई की पत्नी हिरोदिआस के साथ उसके बुरे सम्बन्धों और उसके दूसरे बुरे कर्मो के लिए डाँटा फटकारा। 20 इस पर हेरोदेस ने यूहन्ना को बंदी बनाकर, जो कुछ कुकर्म उसने किये थे, उनमें एक कुकर्म और जोड़ लिया।
यूहन्ना द्वारा यीशु को बपतिस्मा
(मत्ती 3:13-17; मरकुस 1:9-11)
21 ऐसा हुआ कि जब सब लोग बपतिस्मा ले रहे थे तो यीशु ने भी बपतिस्मा लिया। और जब यीशु प्रार्थना कर रहा था, तभी आकाश खुल गया। 22 और पवित्र आत्मा एक कबूतर का देह धारण कर उस पर नीचे उतरा और आकाशवाणी हुई कि, “तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से बहुत प्रसन्न हूँ।”
यूसुफ की वंश परम्परा
(मत्ती 1:1-17)
23 यीशु ने जब अपना सेवा कार्य आरम्भ किया तो वह लगभग तीस वर्ष का था। ऐसा सोचा गया कि वह
एली के बेटे यूसुफ का पुत्र था।
24 एली जो मत्तात का,
मत्तात जो लेवी का,
लेवी जो मलकी का,
मलकी जो यन्ना का,
यन्ना जो यूसुफ का,
25 यूसुफ जो मत्तित्याह का,
मत्तित्याह जो आमोस का,
आमोस जो नहूम का,
नहूम जो असल्याह का,
असल्याह जो नोगह का,
26 नोगह जो मात का,
मात जो मत्तित्याह का,
मत्तित्याह जो शिमी का,
शिमी जो योसेख का,
योसेख जो योदाह का,
27 योदाह जो योनान का,
योनान जो रेसा का,
रेसा जो जरुब्बाबिल का,
जरुब्बाबिल जो शालतियेल का,
शालतियेल जो नेरी का,
28 नेरी जो मलकी का,
मलकी जो अद्दी का,
अद्दी जो कोसाम का,
कोसाम जो इलमोदाम का,
इलमोदाम जो ऐर का,
29 ऐर जो यहोशुआ का,
यहोशुआ जो इलाज़ार का,
इलाज़ार जो योरीम का,
योरीम जो मत्तात का,
मत्तात जो लेवी का,
30 लेवी जो शमौन का,
शमौन जो यहूदा का,
यहूदा जो यूसुफ का,
यूसुफ जो योनान का,
योनान जो इलियाकीम का,
31 इलियाकीम जो मेलिया का,
मेलिया जो मिन्ना का,
मिन्ना जो मत्तात का,
मत्तात जो नातान का,
नातान जो दाऊद का,
32 दाऊद जो यिशै का,
यिशै जो ओबेद का,
ओबेद जो बोअज का,
बोअज जो सलमोन का,
सलमोन जो नहशोन का,
33 नहशोन जो अम्मीनादाब का,
अम्मीनादाब जो आदमीन का,
आदमीन जो अरनी का,
अरनी जो हिस्रोन का,
हिस्रोन जो फिरिस का,
फिरिस जो यहूदाह का,
34 यहूदाह जो याकूब का,
याकूब जो इसहाक का,
इसहाक जो इब्राहीम का,
इब्राहीम जो तिरह का,
तिरह जो नाहोर का,
35 नाहोर जो सरूग का,
सरूग जो रऊ का,
रऊ जो फिलिग का,
फिलिग जो एबिर का,
एबिर जो शिलह का,
36 शिलह जो केनान का,
केनान जो अरफक्षद का,
अरफक्षद जो शेम का,
शेम जो नूह का,
नूह जो लिमिक का,
37 लिमिक जो मथूशिलह का,
मथूशिलह जो हनोक का,
हनोक जो यिरिद का,
यिरिद जो महललेल का,
महललेल जो केनान का,
38 केनान जो एनोश का,
एनोश जो शेत का,
शेत जो आदम का,
और आदम जो परमेश्वर का पुत्र था।
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