मत्तियाह 3
Saral Hindi Bible
बपतिस्मा देने वाले योहन का उपदेश
(मारक 1:1-8; लूकॉ 3:1-17)
3 कालान्तर में यहूदिया प्रदेश के जंगल में बपतिस्मा देने वाला योहन आकर यह प्रचार करने लगे, 2 “मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग-राज्य पास आ गया है.” 3 यह वही हैं जिनके विषय में भविष्यद्वक्ता यशायाह ने अपने अभिलेख में इस प्रकार संकेत दिया है:
“वह आवाज़, जो जंगल में पुकार-पुकार कर कह रही है,
‘प्रभु का रास्ता समतल-सीधा करो,
उनका मार्ग सरल बनाओ.’”
4 बपतिस्मा देने वाले योहन ऊँट के बालों से बने हुए वस्त्र तथा चमड़े का पटुका पहनते थे और उनका भोजन था टिड्डियाँ तथा वनमधु. 5 येरूशालेम नगर, सारे यहूदिया प्रदेश और यरदन नदी के नज़दीकी क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग उनके पास आने लगे. 6 पाप को मानने के बाद योहन उन्हें यरदन नदी में बपतिस्मा दिया करते थे.
7 जब योहन ने देखा कि अनेक फ़रीसी और सदूकी बपतिस्मा लेने आ रहे हैं, उन्होंने उनकी उल्लाहना करते हुए कहा, “विषैले साँपों की सन्तान! समीप आ रहे क्रोध से भागने की चेतावनी तुम्हें किसने दे दी? 8 अपने स्वभाव द्वारा अपने पश्चाताप की पुष्टि करो. 9 स्वयं को यह कहते हुए धीरज मत दो, ‘हम तो अब्राहाम के वंशज हैं.’ मैं तुम्हें सूचित करना चाहता हूँ कि परमेश्वर अब्राहाम के लिए इन पत्थरों से भी सन्तान उत्पन्न कर सकते हैं. 10 कुल्हाड़ी पहले ही वृक्षों की जड़ पर रखी हुई है. हर एक पेड़, जो उत्तम फल नहीं फलता, काटा जाता और आग में झोंक दिया जाता है.
11 “मैं तो तुम्हें पश्चाताप के लिए पानी से बपतिस्मा दे रहा हूँ किन्तु वह, जो मेरे बाद आ रहे हैं, मुझसे अधिक सामर्थी हैं. मैं तो इस योग्य भी नहीं कि उनकी जूतियाँ उठाऊँ. वह तुम्हें पवित्रात्मा और आग में बपतिस्मा देंगे. 12 सूप उनके हाथ में है. वह अपने खलिहान को अच्छी तरह साफ़ करेंगे, गेहूं को भण्डार में इकट्ठा करेंगे और भूसी को कभी न बुझनेवाली आग में भस्म कर देंगे.”
मसीह येशु का बपतिस्मा
(मारक 1:9-11; लूकॉ 3:21-22)
13 येशु गलील प्रदेश से यरदन नदी पर योहन के पास आए कि उनके द्वारा बपतिस्मा लें 14 किन्तु योहन ने इसका इनकार करते हुए कहा, “आवश्यक तो यह है कि मैं आप से बपतिस्मा लूँ. यहाँ तो आप मुझसे बपतिस्मा लेने आए हैं!”
15 मसीह येशु ने इसके उत्तर में कहा, “इस समय तो यही होने दो. हम दोनों के लिए परमेश्वर द्वारा निर्धारित धार्मिकता इसी रीति से पूरी करना सही है.” इस पर योहन सहमत हो गए.
16 बपतिस्मा के बाद जैसे ही मसीह येशु जल में से बाहर आए, उनके लिए स्वर्ग खोल दिया गया और योहन ने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते हुए तथा येशु पर ठहरते देखा. 17 उसी समय स्वर्ग से यह शब्द सुना गया, “यह मेरा पुत्र है—मेरा परम प्रिय—जिसमें मैं पूरी तरह प्रसन्न हूँ.”
मत्ती 3
Hindi Bible: Easy-to-Read Version
बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना का कार्य
(मरकुस 1:1-8; लूका 3:1-9; 15-17; यूहन्ना 1:19-28)
3 उन्ही दिनों यहूदिया के बियाबान मरुस्थल में उपदेश देता हुआ बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना वहाँ आया। 2 वह प्रचार करने लगा, “मन फिराओ! क्योंकि स्वर्ग का राज्य आने को है।” 3 यह यूहन्ना वही है जिसके बारे में भविष्यवक्ता यशायाह ने चर्चा करते हुए कहा था:
“जंगल में एक पुकारने वाले की आवाज है:
‘प्रभु के लिए मार्ग तैयार करो
और उसके लिए राहें सीधी करो।’”(A)
4 यूहन्ना के वस्त्र ऊँट की ऊन के बने थे और वह कमर पर चमड़े की पेटी बाँधे था। टिड्डियाँ और जँगली शहद उसका भोजन था। 5 उस समय यरूशलेम, समूचे यहूदिया क्षेत्र और यर्दन नदी के आसपास के लोग उसके पास आ इकट्ठे हुए। 6 उन्होंने अपने पापों को स्वीकार किया और यर्दन नदी में उन्हें उसके द्वारा बपतिस्मा दिया गया।
7 जब उसने देखा कि बहुत से फ़रीसी[a] और सदूकी[b] उसके पास बपतिस्मा लेने आ रहे हैं तो वह उनसे बोला, “ओ, साँप के बच्चों! तुम्हें किसने चेता दिया है कि तुम प्रभु के भावी क्रोध से बच निकलो? 8 तुम्हें प्रमाण देना होगा कि तुममें वास्तव में मन फिराव हुआ है। 9 और मत सोचो कि अपने आप से यह कहना ही काफी होगा कि ‘हम इब्राहीम की संतान हैं।’ मैं तुमसे कहता हूँ कि परमेश्वर इब्राहीम के लिये इन पत्थरों से भी बच्चे पैदा करा सकता है। 10 पेड़ों की जड़ों पर कुल्हाड़ा रखा जा चुका है। और हर वह पेड़ जो उत्तम फल नहीं देता काट गिराया जायेगा और फिर उसे आग में झोंक दिया जायेगा।
11 “मैं तो तुम्हें तुम्हारे मन फिराव के लिये जल से बपतिस्मा देता हूँ किन्तु वह जो मेरे बाद आने वाला है, मुझ से महान है। मैं तो उसके जूते के तस्मे खोलने योग्य भी नहीं हूँ। वह तुम्हें पवित्र आत्मा और अग्नि से बपतिस्मा देगा। 12 उसके हाथों में उसका छाज है जिस से वह अनाज को भूसे से अलग करता है। अपने खलिहान से वह साफ किये समस्त अनाज को उठा, इकट्ठा कर, कोठियों में भरेगा और भूसे को ऐसी आग में झोंक देगा जो कभी बुझाए नहीं बुझेगी।”
यीशु का यूहन्ना से बपतिस्मा लेना
(मरकुस 1:9-11; लूका 3:21-22)
13 उस समय यीशु गलील से चल कर यर्दन के किनारे यूहन्ना के पास उससे बपतिस्मा लेने आया। 14 किन्तु यूहन्ना ने यीशु को रोकने का यत्न करते हुए कहा, “मुझे तो स्वयं तुझ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है। फिर तू मेरे पास क्यों आया है?”
15 उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “अभी तो इसे इसी प्रकार होने दो। हमें, जो परमेश्वर चाहता है उसे पूरा करने के लिए यही करना उचित है।” फिर उसने वैसा ही होने दिया।
16 और तब यीशु ने बपतिस्मा ले लिया। जैसे ही वह जल से बाहर निकला, आकाश खुल गया। उसने परमेश्वर की आत्मा को एक कबूतर की तरह नीचे उतरते और अपने ऊपर आते देखा। 17 तभी यह आकाशवाणी हुई: “यह मेरा प्रिय पुत्र है। जिससे मैं अति प्रसन्न हूँ।”
Footnotes
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