Add parallel Print Page Options

यीशु का यरूशलेम में भव्य प्रवेश

(मरकुस 11:1-11; लूका 19:28-38; यूहन्ना 12:12-19)

21 यीशु और उसके अनुयायी जब यरूशलेम के पास जैतून पर्वत के निकट बैतफगे पहुँचे तो यीशु ने अपने दो शिष्यों को यह आदेश “देकर भेजा कि अपने ठीक सामने के गाँव में जाओ और वहाँ जाते ही तुम्हें एक गधी बँधी मिलेगी। उसके साथ उसका बच्चा भी होगा। उन्हें बाँध कर मेरे पास ले आओ। यदि कोई तुमसे कुछ कहे तो उससे कहना, ‘प्रभु को इनकी आवश्यकता है। वह जल्दी ही इन्हें लौटा देगा।’”

ऐसा इसलिये हुआ कि भविष्यवक्ता का यह वचन पूरा हो:

“सिओन की नगरी से कहो,
    ‘देख तेरा राजा तेरे पास आ रहा है।
वह विनयपूर्ण है, वह गधी पर सवार है,
    हाँ गधी के बच्चे पर जो एक श्रमिक पशु का बच्चा है।’”(A)

सो उसके शिष्य चले गये और वैसा ही किया जैसा उन्हें यीशु ने बताया था। वे गधी और उसके बछेरे को ले आये। और उन पर अपने वस्त्र डाल दिये क्योंकि यीशु को बैठना था। भीड़ में बहुत से लोगों ने अपने वस्त्र राह में बिछा दिये और दूसरे लोग पेड़ों से टहनियाँ काट लाये और उन्हें मार्ग में बिछा दिया। जो लोग उनके आगे चल रहे थे और जो लोग उनके पीछे चल रहे थे सब पुकार कर कह रहे थे:

“होशन्ना! धन्य है दाऊद का वह पुत्र!
    ‘जो आ रहा है प्रभु के नाम पर धन्य है।’(B)

प्रभु जो स्वर्ग में विराजा।”

10 सो जब उसने यरूशलेम में प्रवेश किया तो समूचे नगर में हलचल मच गयी। लोग पूछने लगे, “यह कौन है?”

11 लोग ही जवाब दे रहे थे, “यह गलील के नासरत का नबी यीशु है।”

Read full chapter