Add parallel Print Page Options

यीशु मसीह है

(मरकुस 8:27-30; लूका 9:18-21)

13 जब यीशु कैसरिया फिलिप्पी के प्रदेश में आया तो उसने अपने शिष्यों से पूछा, “लोग क्या कहते हैं, कि मैं कौन हूँ?”[a]

14 वे बोले, “कुछ कहते हैं कि तू बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना है, और दूसरे कहते हैं कि तू एलिय्याह[b] है और कुछ अन्य कहते हैं कि तू यिर्मयाह[c] या भविष्यवक्ताओं में से कोई एक है।”

15 यीशु ने उनसे कहा, “और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?”

16 शमौन पतरस ने उत्तर दिया, “तू मसीह है, साक्षात परमेश्वर का पुत्र।”

17 उत्तर में यीशु ने उससे कहा, “योना के पुत्र शमौन! तू धन्य है क्योंकि तुझे यह बात किसी मनुष्य ने नहीं, बल्कि स्वर्ग में स्थित मेरे परम पिता ने दर्शाई है। 18 मैं कहता हूँ कि तू पतरस है। और इसी चट्टान पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊँगा। मृत्यु की शक्ति[d] उस पर प्रबल नहीं होगी। 19 मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुंजियाँ दे रहा हूँ। ताकि धरती पर जो कुछ तू बाँधे, वह परमेश्वर के द्वारा स्वर्ग में बाँधा जाये और जो कुछ तू धरती पर छोड़े, वह स्वर्ग में परमेश्वर के द्वारा छोड़ दिया जाये।”

Read full chapter

Footnotes

  1. 16:13 मैं कौन हूँ शाब्दिक, “मनुष्य का पुत्र।”
  2. 16:14 एलिय्याह एक भविष्यवक्ता था जो यीशु से सैकड़ों साल पहले हुआ था और लोगों को परमेश्वर के बारे में बताता था।
  3. 16:14 यिर्मयाह एक भविष्यवक्ता जो यीशु से सैकड़ों साल पहले लोगों को परमेश्वर के बारे में बताता था।
  4. 16:18 मृत्यु की शक्ति शाब्दिक, “मृत्यु के द्वार।”