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राई के दाने का दृष्टान्त

(मत्ती 13:31-32, 34-35; लूका 13:18-19)

30 फिर उसने कहा, “हम कैसे बतायें कि परमेश्वर का राज्य कैसा है? उसकी व्याख्या करने के लिए हम किस उदाहरण का प्रयोग करें? 31 वह राई के दाने जैसा है जो जब धरती में बोया जाता है तो बीजों में सबसे छोटा होता है। 32 किन्तु जब वह रोप दिया जाता है तो बढ़ कर भूमि के सभी पौधों से बड़ा हो जाता है। उसकी शाखाएँ इतनी बड़ी हो जाती हैं कि हवा में उड़ती चिड़ियाएँ उसकी छाया में घोंसला बना सकती हैं।”

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