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मसीह येशु में विशाल भीड़ की रुचि

(मत्ति 12:15-17)

मसीह येशु अपने शिष्यों के साथ झील के पास चले गए. एक विशाल भीड़, जो गलील तथा यहूदिया प्रदेश से आ कर इकठ्ठी हुई थी, उनके पीछे-पीछे चल रही थी. मसीह येशु के बड़े-बड़े कामों का वर्णन सुन कर येरूशालेम नगर, इदूमिया प्रदेश, यरदन नदी के पार के क्षेत्र तथा त्सोर और त्सीदोन से भी अनेकों-अनेक इस भीड़ में सम्मिलित हो गए थे. इस विशाल भीड़ के दबाव से बचने के उद्धेश्य से मसीह येशु ने शिष्यों को एक नाव तैयार रखने की आज्ञा दी. 10 मसीह येशु ने अनेकों को स्वास्थ्यदान दिया था इसलिए वे सभी, जो रोगी थे, मात्र उन्हें छू लेने के उद्धेश्य से उन पर गिरे पड़ रहे थे. 11 जब कभी दुष्टात्मा उनके सामने आती थी, वे उनके सामने गिर कर चिल्ला-चिल्ला कर कहती थी, “आप परमेश्वर-पुत्र हैं!” 12 किन्तु मसीह येशु ने उन्हें चेतावनी दी कि वे यह किसी से न कहें.

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बहुतों का यीशु के पीछे हो लेना

यीशु अपने शिष्यों के साथ झील गलील पर चला गया। उसके पीछे एक बहुत बड़ी भीड़ भी हो ली जिसमें गलील, यहूदिया, यरूशलेम, इदूमिया और यर्दन नदी के पार के तथा सूर और सैदा के लोग भी थे। लोगों की यह भीड़ उन कामों के बारे में सुनकर उसके पास आयी थी जिन्हें वह करता था।

भीड़ के कारण उसने अपने शिष्यों से कहा कि वे उसके लिये एक छोटी नाव तैयार रखें ताकि भीड़ उसे दबा न ले। 10 यीशु ने बहुत से लोगों को चंगा किया था इसलिये बहुत से वे लोग जो रोगी थे, उसे छूने के लिये भीड़ में ढकेलते रास्ता बनाते उमड़े चले आ रहे थे। 11 जब कभी दुष्टात्माएँ यीशु को देखतीं वे उसके सामने नीचे गिर पड़तीं और चिल्ला कर कहतीं “तू परमेश्वर का पुत्र है!” 12 किन्तु वह उन्हें चेतावनी देता कि वे सावधान रहें और इसका प्रचार न करें।

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