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यीसू अऊ बालजबूल

(मत्ती 12:22-32; लूका 11:14-23; 12:10)

20 जब यीसू ह घर म आईस, त फेर अइसने भीड़ जुर गीस कि ओह अऊ ओकर चेलामन खाना तक नइं खा सकिन। 21 जब ओकर परिवार के मन ए सुनिन, त ओला घर ले जाय बर आईन, काबरकि ओमन कहत रिहिन कि ओकर चित ह ठीक नइं ए।

22 अऊ कानून के गुरू, जऊन मन यरूसलेम ले आय रिहिन, अइसने कहंय कि ओम सैतान हवय अऊ ओह परेत आतमामन के सरदार (बालजबूल) के मदद ले परेत आतमामन ला निकारथे।

23 यीसू ह ओमन ला लकठा म बलाके पटं‍तर म कहिस, “सैतान ह सैतान ला कइसने निकार सकथे? 24 कहूं कोनो राज म फूट पड़ जावय, त ओ राज ह बने नइं रह सकय। 25 वइसनेच कहूं कोनो घर म फूट पड़ जावय, त ओ घर ह बने नइं रह सकय। 26 कहूं सैतान ह अपनेच बिरोध म होके अपनेच म फूट डारही, त ओह कइसने बने रह सकथे? ओकर बिनास हो जाही। 27 कोनो मनखे कोनो बलवान मनखे के घर म घुसर के ओकर घर ला लूट नइं सकय, जब तक कि ओह पहिली ओ बलवान मनखे ला नइं बांध लिही, तभे ओह ओकर घर ला लूट सकथे। 28 मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि मनखेमन के जम्मो पाप अऊ निन्दा करई ह माफ करे जाही, 29 पर जऊन ह पबितर आतमा के बिरोध म निन्दा करथे, ओला कभू माफ नइं करे जावय; ओह अनंत पाप के दोसी ठहरही।” 30 यीसू ह ए जम्मो बात एकर खातिर कहिस काबरकि ओमन ए कहत रिहिन कि ओम परेत आतमा हवय।

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