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यीसू गतसमनी म पराथना करथे

(मत्ती 26:36-46; लूका 22:39-46)

32 तब ओमन गतसमनी नांव के एक ठऊर म आईन। यीसू ह अपन चेलामन ला कहिस, “इहां बईठे रहव, जब तक कि मेंह पराथना करत हंव।” 33 ओह पतरस, याकूब अऊ यूहन्ना ला अपन संग लीस, अऊ अब्‍बड़ घबराईस अऊ बियाकुल होईस। 34 अऊ ओह ओमन ला कहिस, “मोर मन ह अतकी उदास हवय कि मेंह मर जावंव सहीं लगत हवय। तुमन इहां ठहरव अऊ जागत रहव।”

35 थोरकन आघू जाके, ओह भुइयां म गिरके पराथना करन लगिस कि कहूं हो सकय, त ए दुःख के बेरा ह ओकर ले टर जावय। 36 ओह कहिस, “ददा, हे ददा! तोर दुवारा जम्मो बात हो सकथे। ए दुःख के कटोरा ला मोर म ले टार दे। तभो ले जइसने मेंह चाहत हवंव वइसने नइं, पर जइसने तेंह चाहत हवस, वइसने होवय।”

37 तब ओह अपन तीनों चेलामन करा आईस अऊ ओमन ला सुतत देखके, पतरस ला कहिस, “हे सिमोन! तेंह सुतत हवस। का तेंह एक घंटा घलो जागे नइं सकय? 38 जागत अऊ पराथना करत रहव कि तुमन परिछा म झन पड़व। आतमा ह तो चाहत हे, पर देहें ह दुरबल हवय।”

39 ओह फेर चले गीस अऊ ओहीच बात ला कहिके पराथना करिस। 40 जब ओह चेलामन करा लहुंटिस, त ओमन ला फेर सुतत पाईस, काबरकि ओमन के आंखीमन नींद के मारे बंद होवत रहंय, अऊ ओमन नइं जानत रहंय कि ओला का कहंय।

41 तब तीसरा बार आके, ओह ओमन ला कहिस, “का तुमन अभी तक ले सुतत अऊ अराम करत हवव? बहुंत हो गे। घरी ह आ गे हवय। देखव, मनखे के बेटा ह पापीमन के हांथ म पकड़वाय जावथे। 42 उठव! आवव, चलव! देखव, मोर पकड़वइया ह लकठा आ गे हवय।”

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