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कंगाल विधवा का दान

(लूकॉ 21:1-4)

41 मसीह येशु मन्दिर-कोष के सामने बैठे हुए थे. वह देख रहे थे कि लोग मन्दिर कोष में किस प्रकार दान दे रहे हैं. अनेक धनी लोग बड़ी-बड़ी राशि डाल रहे थे. 42 एक निर्धन विधवा भी वहाँ आई और उसने कोष में ताम्बे की मात्र दो बहुत छोटी मुद्राएं डालीं.

43 मसीह येशु ने अपने शिष्यों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा, “मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: जितनों ने भी कोष में दान दिया है, इस विधवा का दान उन सबसे बढ़कर है 44 क्योंकि शेष सभी ने तो अपने धन की बढ़ती में से दिया है किन्तु इस विधवा ने अपनी निर्धनता में से अपनी सारी सम्पत्ति ही दे दी—यह उसकी सारी जीविका थी.”

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