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कर का प्रश्न

(मत्ति 22:15-22; लूकॉ 20:20-26)

13 यहूदियों ने मसीह येशु के पास कुछ फ़रीसियों तथा हेरोदेस समर्थकों को भेजा कि मसीह येशु को उनकी ही किसी बात में फँसाया जा सके. 14 उन्होंने आ कर मसीह येशु से यह प्रश्न किया, “गुरुवर, यह तो हमें मालूम है कि आप एक सच्चे व्यक्ति हैं. आपको किसी के मत-समर्थन की ज़रूरत नहीं है क्योंकि आप में पक्षपात है ही नहीं. आप पूरी सच्चाई में परमेश्वर सम्बन्धी शिक्षा देते हैं. हमें यह बताइए: कयसर को कर देना व्यवस्था के अनुसार है या नहीं? 15 हम कर दें या नहीं?”

उनका पाखण्ड भाँप कर मसीह येशु ने उनसे कहा, “क्यों मुझे फँसाने की युक्ति कर रहे हो? दीनार की मुद्रा ला कर मुझे दिखाओ.”

16 वे मसीह येशु के पास एक मुद्रा ले आए. मसीह येशु ने वह मुद्रा उन्हें दिखाते हुए उनसे प्रश्न किया, “यह छाप तथा नाम किसका है?”

“कयसर का,” उन्होंने उत्तर दिया.

17 मसीह येशु ने उनसे कहा, “जो कयसर का है, वह कयसर को दो और जो परमेश्वर का, वह परमेश्वर को.”

यह सुन वे दंग रह गए.

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