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ईसू स धनी मनई क सवाल

(मत्ती 19:16-30; लूका 18:18-30)

17 जइसे उ जात्रा प जाइ क रहा, एक मनई ओकरे लगे आइ अउर घुटुनवा टेकिके बोला अउ ओसे पूछेस, “उत्तम गुरु! अनन्त जीवन पावइ क हक बरे ओका का करइ क चाही?”

18 ईसू ओसे कहेस, “तू मोका उत्तम काहे कहत ह? सिरिफ परमेस्सर क छोड़िके कउनो उत्तम नाहीं। 19 तू आदेस क जानत ह। ‘जीउ जिन मारा, व्यभिचार जिन करा, चोरी जिन करा, झूठी गवाही जिन द्या, ठगी जिन करा, आपन महतारी बाप क इज्जत करा।’”

20 उ मनई ओसे कहेस, “गुरु मइँ आपन लरिकइँ स इन सब बातन पर चलत आवत हउँ।”

21 ईसू ओका निहारेस। ओकरे बरे पिरेम भाउ रखेस अउर ओसे कहेस, “तोहमाँ ऍक बात क कमी अहइ जा अउर बेंचि आवा जउन तू धरे अहा। तब एक गरीबे क द्या। ओकरे बाद तू सरगे मँ खजाना रखब्या। तब्बई तू आवा अउर मोरे पाछे चला।”

22 अइसे बयान पर ओकर मुँह उतर गवा अउर निरास होइ के चला गवा। इ नाते कि उ धनवान रहा।

23 ईसू चारिहुँ कइँती देखेस अउर आपन चेलन स कहेस, “केतना मुस्किल बाटइ ओनके बरे जउन धनी होइके परमेस्सर क राज्य मँ घुसइ चाहत अहइँ।”

24 चेलन इ बचनन प अचरजि मँ परि गएन। तउ फिन ईसू ओनसे कहेस, “मोर गदेलन! परमेस्सर क राज्य मँ घुसब केतना मुस्किल अहइ। 25 ऊँट क सुई क नोंके स घुसरब असान अहइ, बजाय एक धनी मनई क परमेस्सर क राज्य मँ जाब!”

26 ओनका अउ जिआदा अचरज भवा, अउर आपुस मँ एक दुसरे स बतियाइ लागेन, “तब कउने क उद्धार होई?” 27 ओनका लखत, ईसू कहेस, “मनई अइसा कबहुँ नाहीं कइ सकत, मुला इ परमेस्सर बरे अइसा नाहीं।”

28 पतरस ओसे कहइ लाग, “देखा, हम सब कछू तजि दिहन अउर तोहरे पाछे होइ गएन!”

29 ईसू कहेस, “मइँ तोसे सच सच कहत हउँ, कउनो अइसा नाहीं जउन मोरे बरे अउर सुसमाचार बरे घर-दुआर, भाइयन, बहिनियन, महतारी, बाप, गदेलन, खेत अउर क तजि देइ, 30 जउन इ जुगे मँ घरन भाइयन, बहिनियन, महतारीयन, गदेलन अउर खेतन क संग सताव सउ गुना जिआदा न पाइ, अउर आवइवाला जुग मँ अनन्त जीवन। 31 मुला बहोत जने जउन आज सबते पाछे अहइँ, उ सबते पहिले होइहीं। जउन सबते पहिले अहइँ, उ सबइ पाछे होइहीं।”

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