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ओकर चेलन ओसे पूछेन, “इ दिस्टान्त कथा क अरथ का अहइ?”

10 तउ उ बताएस, “परमेस्सर क राज्य क भेद जानइ क सुविधा तोहका दीन्ह गइ अहइ मुला दूसर क इ भेद दिस्टान्त कथा स दीन्ह ग अहइँ जेहसे:

‘उ पचे देखत भी
    न देख पावइँ
अउर सुनते हुए भी
    न समुझ पावइँ।’ (A)

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