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एक आने बिसराम के दिन यीसू ह सभा घर म गीस अऊ उपदेस देवत रिहिस। उहां एक झन मनखे रिहिस जेकर जेवनी हांथ ह सूखा गे रहय। फरीसी अऊ कानून के गुरू मन यीसू ऊपर दोस लगाय के बहाना खोजत रहंय, एकरसेति ओमन धियान लगाके देखत रहंय कि ओह सूखा हांथवाले मनखे ला बिसराम के दिन म बने करथे कि नइं। पर यीसू ह ओमन के मन के बात ला जानत रिहिस अऊ ओह सूखा हांथवाले मनखे ला कहिस, “उठ अऊ जम्मो झन के आघू म ठाढ़ हो जा।” ओ मनखे ह उठिस अऊ उहां ठाढ़ हो गीस।

तब यीसू ह ओमन ला कहिस, “मेंह तुमन ला पुछत हंव – बिसराम के दिन म का करना उचित ए – भलई करई या बुरई करई, जिनगी बचई या जिनगी नास करई?”

10 यीसू ह चारों कोति ओ जम्मो झन ला देखिस अऊ तब ओ मनखे ला कहिस, “अपन हांथ ला बढ़ा।” ओह वइसने करिस, अऊ ओकर हांथ ह पूरा-पूरी ठीक हो गीस। 11 पर फरीसी अऊ कानून के गुरू मन बहुंत नराज होईन अऊ एक-दूसर के संग बिचार करन लगिन कि यीसू के संग का करे जावय।

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