Add parallel Print Page Options

56 आगी क रोसनी मँ एक नउकरानी ओका हुवाँ बइठे लखेस। उ ओह पइ आँखी गड़ावत भइ कहेस, “इ मनई तउ ओकरे साथे भी रहा।”

57 मुला पतरस इन्कार करत भवा कहेस, “हे स्त्री, मइँ ओका नाहीं जानत हउँ।” 58 तनिक दरे पाछे एक ठु दूसर मनई ओका लखेस अउर कहेस, “तू भी ओनही मँ स एक अहइ।”

मुला पतरस बोला, “भल मनई, मइँ उ नाहीं हउँ।”

59 कउनो लगभग एक घड़ी बीत भइ होइ कि कउनो अउर भी जोर स कहइ लाग, “सचमुच ही इ मनई ओकरे संग भी रहा। काहेकि लखा उ गलील वासी भी अहइ।”

60 मुला पतरस बोला, “भल मनई, मइँ नाहीं जानता हउँ तू केकरे बारे मँ बतियात अहा!”

उहइ घड़ी, उ अबहीं बातन करत ही रहा कि एक ठु मुर्गा बाँग दिहस। 61 अउर पर्भू मुड़िके पतरस पइ आँखी गड़ाएस। तबहिं पतरस क पर्भू क उ वचन याद आवा जउन उ ओसे कहे रहा: “आजु मुर्गा क बाँग देइ स पहिले मोका तीन दाई मुकरि जाब्या।” 62 तब उ बाहेर चला गवा अउर फूटि फूटि को रोवइ लाग।

Read full chapter