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मसीह येशु की मृत्यु

(मत्ति 27:45-56; मारक 15:33-41; लूकॉ 23:44-49)

28 इसके बाद मसीह येशु ने यह जानते हुए कि अब सब कुछ पूरा हो चुका है, पवित्रशास्त्र का लेख पूरा करने के लिए कहा, “मैं प्यासा हूँ.” 29 वहाँ दाखरस के सिरके से भरा एक बर्तन रखा था. लोगों ने उसमें स्पंज भिगो जूफ़ा पौधे की टहनी पर रखकर उनके मुख तक पहुँचाया. 30 उसे चख कर मसीह येशु ने कहा, “अब सब पूरा हो गया” और सिर झुका कर प्राण त्याग दिए.

31 वह फ़सह की तैयारी का दिन था. इसलिए यहूदियों ने पिलातॉस से निवेदन किया कि उन लोगों की टाँगें तोड़ कर उन्हें क्रूस से उतार लिया जाए जिससे वे शब्बाथ पर क्रूस पर न रहें क्योंकि वह एक विशेष महत्व का शब्बाथ था. 32 इसलिए सैनिकों ने मसीह येशु के संग क्रूस पर चढ़ाए गए एक व्यक्ति की टाँगें पहले तोड़ीं और तब दूसरे की. 33 जब वे मसीह येशु के पास आए तो उन्हें मालूम हुआ कि उनके प्राण पहले ही निकल चुके थे. इसलिए उन्होंने उनकी टाँगें नहीं तोड़ीं 34 किन्तु एक सैनिक ने उनकी पसली को भाले से बेधा और वहाँ से तुरन्त लहू व जल बह निकले. 35 वह, जिसने यह देखा, उसने गवाही दी है और उसकी गवाही सच्ची है—वह जानता है कि वह सच ही कह रहा है, कि तुम भी विश्वास कर सको. 36 यह इसलिए हुआ कि पवित्रशास्त्र का यह लेख पूरा हो: उसकी एक भी हड्डी तोड़ी न जाएगी. 37 पवित्रशास्त्र का एक अन्य लेख भी इस प्रकार है: वे उसकी ओर देखेंगे, जिसे उन्होंने बेधा है.

मसीह येशु को क़ब्र में रखा जाना

(मत्ति 27:57-61; मारक 15:42-47; लूकॉ 23:46-50)

38 अरिमथियावासी योसेफ़ यहूदियों के भय के कारण मसीह येशु का गुप्त शिष्य था. उसने पिलातॉस से मसीह येशु का शव ले जाने की अनुमति चाही. पिलातॉस ने स्वीकृति दे दी और वह आकर मसीह येशु का शव ले गया. 39 तब निकोदेमॉस भी, जो पहले मसीह येशु से भेंट करने रात के समय आए थे, लगभग तैंतीस किलो गन्धरस और अगरू का मिश्रण ले कर आए. 40 इन लोगों ने मसीह येशु का शव लिया और यहूदियों की अंतिम संस्कार की रीति के अनुसार उस पर यह मिश्रण लगा कर कपड़े की पट्टियों में लपेट दिया. 41 मसीह येशु को क्रूसित किए जाने के स्थान के पास एक उपवन था, जिसमें एक नई क़ब्र की गुफ़ा थी. उसमें अब तक कोई शव नहीं रखा गया था. 42 इसलिए उन्होंने मसीह येशु के शव को उसी क़ब्र की गुफ़ा में रख दिया क्योंकि वह पास थी और वह यहूदियों के शब्बाथ की तैयारी का दिन भी था.

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