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हन्ना के सामने मसीह येशु

12 तब सैनिकों के दल, सेनानायक और यहूदियों के अधिकारियों ने मसीह येशु को बन्दी बना लिया. 13 पहले वे उन्हें हन्ना के पास ले गए, जो उस वर्ष के महायाजक कायाफ़स का ससुर था. 14 कायाफ़स ने ही यहूदियों को विचार दिया था कि राष्ट्र के हित में एक व्यक्ति का प्राण त्याग करना सही है.

पेतरॉस का पहिला नकारना

15 शिमोन पेतरॉस और एक अन्य शिष्य मसीह येशु के पीछे-पीछे गए. यह शिष्य महायाजक की जान पहचान का था. इसलिए वह भी मसीह येशु के साथ महायाजक के घर के परिसर में चला गया 16 परन्तु पेतरॉस द्वार पर बाहर ही खड़े रहे. तब वह शिष्य, जो महायाजक की जान पहचान का था, बाहर आया और द्वार पर नियुक्त दासी से कह कर पेतरॉस को भीतर ले गया.

17 द्वार पर निधर्मी उस दासी ने पेतरॉस से पूछा, “कहीं तुम भी तो इस व्यक्ति के शिष्यों में से नहीं हो?”

“नहीं, नहीं,” उन्होंने उत्तर दिया.

18 ठण्ड के कारण सेवकों और सैनिकों ने आग जला रखी थी और खड़े हुए आग ताप रहे थे. पेतरॉस भी उनके साथ खड़े हुए आग ताप रहे थे.

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