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कठिनाइयों का सामना करने के विषय में निर्देश

इसलिए, हे पुत्र, मसीह येशु में मिले अनुग्रह में बलवान हो जाओ. उन शिक्षाओं को, जो तुमने अनेकों गवाहों की उपस्थिति में मुझसे प्राप्त की हैं, ऐसे विश्वासयोग्य व्यक्तियों को सौंप दो, जिनमें बाकियों को भी शिक्षा देने की क्षमता है. मसीह येशु के अच्छे योद्धा की तरह मेरे साथ दुःखों का सामना करो. कोई भी योद्धा रणभूमि में दैनिक जीवन के झंझटों में नहीं पड़ता कि वह योद्धा के रूप में अपने भर्ती करनेवाले को संतुष्ट कर सके. इसी प्रकार यदि कोई अखाड़े की प्रतियोगिता में भाग लेता है किन्तु नियम के अनुसार प्रदर्शन नहीं करता, विजय-पदक प्राप्त नहीं करता. यह सही ही है कि परिश्रमी किसान उपज से अपना हिस्सा सबसे पहिले प्राप्त करे. मेरी शिक्षाओं पर विचार करो. प्रभु तुम्हें सब विषयों में समझ प्रदान करेंगे.

उस ईश्वरीय सुसमाचार के अनुसार, जिसका मैं प्रचारक हूँ, मरे हुओं में से जीवित, दाविद के वंशज मसीह येशु को याद रखो. उसी ईश्वरीय सुसमाचार के लिए मैं कष्ट सह रहा हूँ, यहाँ तक कि मैं अपराधी जैसा बेड़ियों में जकड़ा गया हूँ—परन्तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं किया जा सका. 10 यही कारण है कि मैं उनके लिए, जो चुने हुए हैं, सभी कष्ट सह रहा हूँ कि उन्हें भी वह उद्धार प्राप्त हो, जो मसीह येशु में मिलता है तथा उसके साथ अनन्त महिमा भी.

11 यह बात सत्य है:

यदि उनके साथ हमारी मृत्यु हुई है तो
    हम उनके साथ जीवित भी होंगे;
12 यदि हम धीरज धारण किए रहें तो हम उनके साथ शासन भी करेंगे,
    यदि हम उनका इनकार करेंगे तो वह भी हमारा इनकार करेंगे.
13 हम चाहे सच्चाई पर चलना त्याग दें किन्तु वह विश्वासयोग्य रहते हैं क्योंकि वह अपने सच्चाई पर चलने के स्वभाव के विरुद्ध नहीं जा सकते.

14 उन्हें इन विषयों की याद दिलाते रहो. परमेश्वर की उपस्थिति में उन्हें चेतावनी दो कि वे शब्दों पर वाद-विवाद न किया करें. इससे किसी का कोई लाभ नहीं होता परन्तु इससे सुननेवालों का विनाश ही होता है. 15 सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाते हुए परमेश्वर के ऐसे ग्रहण योग्य सेवक बनने का पूरा प्रयास करो, जिसे लज्जित न होना पड़े. 16 सांसारिक और व्यर्थ की बातचीत से दूर रहो, नहीं तो सांसारिकता बढ़ती ही जाएगी 17 और इस प्रकार की शिक्षा सड़े घाव की तरह फैल जाएगी. ह्यूमैनेऑस तथा फ़िलेतॉस इसी के समर्थकों में से हैं, 18 जो यह कहते हुए सच से भटक गए कि पुनरुत्थान तो पहले ही हो चुका. इस प्रकार उन्होंने कुछ को विश्वास से अलग कर दिया है. 19 फिर भी परमेश्वर की पक्की नींव स्थिर है, जिस पर यह मोहर लगी है: “प्रभु उन्हें जानते हैं, जो उनके हैं.” तथा “हर एक, जिसने प्रभु को अपनाया है, अधर्म से दूर रहे.”

20 एक सम्पन्न घर में केवल सोने-चांदी के ही नहीं परन्तु लकड़ी तथा मिट्टी के भी बर्तन होते हैं—कुछ अच्छे उपयोग के लिए तथा कुछ अनादर के लिए. 21 इसलिए जो व्यक्ति स्वयं को इस प्रकार की गंदगी से साफ़ कर लेता है, उसे अच्छा, अलग किया हुआ, स्वामी के लिए उपयोगी तथा हर एक भले काम के लिए तैयार किया हुआ बर्तन माना जाएगा.

22 जवानी की अभिलाषाओं से दूर भागो तथा उनकी संगति में धार्मिकता, विश्वास, प्रेम और शान्ति का स्वभाव करो, जो निर्मल हृदय से परमेश्वर को पुकारते हैं 23 मूर्खता तथा अज्ञानतापूर्ण विवादों से दूर रहो; यह जानते हुए कि इनसे झगड़ा उत्पन्न होता है. 24 परमेश्वर के दास का झगड़ालू होना सही नहीं है. वह सब के साथ कृपालु, निपुण शिक्षक, अन्याय की स्थिति में धीरजवन्त हो, 25 जो विरोधियों को नम्रतापूर्वक इस सम्भावना की आशा में समझाए कि क्या जाने परमेश्वर उन्हें सत्य के ज्ञान की प्राप्ति के लिए पश्चाताप की ओर भेजें. 26 वे सचेत हो जाएँ तथा शैतान के उस फन्दे से छूट जाएँ जिसमें उसने उन्हें अपनी इच्छा पूरी करने के लिए जकड़ रखा है.

मसीह यीशु का सच्चा सिपाही

जहाँ तक तुम्हारी बात है, मेरे पुत्र, यीशु मसीह में प्राप्त होने वाले अनुग्रह से सुदृढ़ हो जा। बहुत से लोगों की साक्षी में मुझसे तूने जो कुछ सुना है, उसे उन विश्वास करने योग्य व्यक्तियों को सौंप दे जो दूसरों को भी शिक्षा देने में समर्थ हों। यातनाएँ झेलने में मसीह यीशु के एक उत्तम सैनिक के समान मेरे साथ आ मिल। ऐसा कोई भी, जो सैनिक के समान सेवा कर रहा है, अपने आपको साधारण जीवन के जंजाल में नहीं फँसाता क्योंकि वह अपने शासक अधिकारी को प्रसन्न करने के लिए यत्नशील रहता है। और ऐसे ही यदि कोई किसी दौड़ प्रतियोगिता में भाग लेता है, तो उसे विजय का मुकुट उस समय तक नहीं मिलता, जब तक कि वह नियमों का पालन करते हुए प्रतियोगिता में भाग नहीं लेता। परिश्रमी कामगार किसान ही उपज का सबसे पहला भाग पाने का अधिकारी है। मैं जो बताता हूँ, उस पर विचार कर। प्रभु तुझे सब कुछ समझने की क्षमता प्रदान करेगा।

यीशु मसीह का स्मरण करते रहो जो मरे हुओं में से पुरर्जीवित हो उठा है और जो दाऊद का वंशज है। यही उस सुसमाचार का सार है जिसका मैं उपदेश देता हूँ इसी के लिए मैं यातनाएँ झेलता हूँ। यहाँ तक कि एक अपराधी के समान मुझे जंजीरों से जकड़ दिया गया है। किन्तु परमेश्वर का वचन तो बंधन रहित है। 10 इसी कारण परमेश्वर के चुने हुए लोगों के लिये मैं हर दुःख उठाता रहता हूँ ताकि वे भी मसीह यीशु में प्राप्त होने वाले उद्धार को अनन्त महिमा के साथ प्राप्त कर सकें।

11 यह वचन विश्वास के योग्य है कि:

यदि हम उसके साथ मरे हैं, तो उसी के साथ जीयेंगे,
12 यदि दुःख उठाये हैं तो उसके साथ शासन भी करेंगे।
यदि हम उसको छोड़ेंगे, तो वह भी हमको छोड़ देगा,
13 हम चाहे विश्वास हीन हों पर वह सदा सर्वदा विश्वसनीय रहेगा
    क्योंकि वह अपना इन्कार नहीं कर सकता।

स्वीकृत कार्यकर्ता

14 लोगों को इन बातों का ध्यान दिलाते रहो और परमेश्वर को साक्षी करके उन्हें सावधान करते रहो कि वे शब्दों को लेकर लड़ाई झगड़ा न करें। ऐसे लड़ाई झगड़ों से कोई लाभ नहीं होता, बल्कि इन्हें जो सुनते हैं, वे भी नष्ट हो जाते हैं। 15 अपने आप को परमेश्वर द्वारा ग्रहण करने योग्य बनाकर एक ऐसे सेवक के रूप में प्रस्तुत करने का यत्न करते रहो जिससे किसी बात के लिए लज्जित होने की आवश्यकता न हो। और जो परमेश्वर के सत्य वचन का सही ढंग से उपयोग करता हो,

16 और सांसारिक वाद विवादों तथा व्यर्थ की बातों से बचा रहता है। क्योंकि ये बातें लोगों को परमेश्वर से दूर ले जाती हैं। 17 ऐसे लोगों की शिक्षाएँ नासूर की तरह फैलेंगी। हुमिनयुस और फिलेतुस ऐसे ही हैं। 18 जो सच्चाई के बिन्दु से भटक गये हैं। उनका कहना है कि पुनरुत्थान तो अब तक हो भी चुका है। ये कुछ लोगों के विश्वास को नष्ट कर रहे हैं।

19 कुछ भी हो परमेश्वर ने जिस सुदृढ़ नींव को डाला है, वह दृढ़ता के साथ खड़ी है। उस पर अंकित है, “प्रभु अपने भक्तों को जानता है।”(A) और “वह हर एक, जो कहता है कि वह प्रभु का है, उसे बुराइयों से बचे रहना चाहिए।”

20 एक बड़े घर में बस सोने-चाँदी के ही पात्र तो नहीं होते हैं, उसमें लकड़ी और मिट्टी के बरतन भी होते हैं। कुछ विशेष उपयोग के लिए होते हैं और कुछ साधारण उपयोग के लिए। 21 इसलिए यदि व्यक्ति अपने आपको बुराइयों से शुद्ध कर लेता है तो वह विशेष उपयोग का बनेगा और फिर पवित्र बन कर अपने स्वामी के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। और किसी भी उत्तम कार्य के लिए तत्पर रहेगा।

22 जवानी की बुरी इच्छाओं से दूर रहो धार्मिक जीवन, विश्वास, प्रेम और शांति के लिये उन सब के साथ जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम पुकारते हैं, प्रयत्नशील रहो। 23 मूर्खतापूर्ण, बेकार के तर्क वितर्कों से सदा बचे रहो। क्योंकि तुम जानते ही हो कि इनसे लड़ाई-झगड़े पैदा होते हैं। 24 और प्रभु के सेवक को तो झगड़ना ही नहीं चाहिए। उसे तो सब पर दया करनी चाहिए। उसे शिक्षा देने में योग्य होना चाहिए। उसे सहनशील होना चाहिए। 25 उसे अपने विरोधियों को भी इस आशा के साथ कि परमेश्वर उन्हें भी मन फिराव करने की शक्ति देगा, विनम्रता के साथ समझाना चाहिए। ताकि उन्हें भी सत्य का ज्ञान हो जाये 26 और वे सचेत होकर शैतान के उस फन्दे से बच निकलें जिसमें शैतान ने उन्हें जकड़ रखा है ताकि वे परमेश्वर की इच्छा का अनुसरण कर सकें।