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16 सेला क नगर स मेमनन यहूदा क नवा राजा बरे नज़राना पठावा; तू पचन्क रेगिस्तान स होत भए सिय्योन क बिटिया क पठवा।

मोआब क मेहररूअन उ बे सहारे नान्ह चिरइयन क जइसा अहइँ
    जउन आपन घोंसला स धरती पइ गिर गवा ह।
    उ पचे अर्नीन नदी क पार करइ बरे इधर-उधर दउड़त अहइ।
उ सबइ विन्ती करत अहइँ, “हमार मदद करा!
    बतावा हम का करी!
तू हमका मुसीबत स अइसा बचावा
    जइसा दोपहर क धूप स एक आंधर छाया हमका बचावत ह।
हम सत्रुअन स भागत अही।
    तू हमका छुपाइ ल्या।
    हम का तू सत्रुअन क हाथन मँ पड़इ न द्या।”
ओन मोआब बासियन क आपन घर तजइ क मजबूर कीन्ह गवा रहा।
    एह बरे तू ओनका आपन धरती पइ रहइ द्या।
    तू ओनके सत्रुअन क छुपाइ ल्या।

इ लूट रुक जाइ।
    सत्रु हार जइहीं अउर अइसे मनसेधू दूसर क नोस्कान करत हीं,
    इ धरती स उखड़िहीं।

फुन एक ठु नवा राजा आइ।
    इ राजा दाउद क घराने स होइ।
    उ सच्चाई स पूर्ण, करूणावाला अउ दयालु होइ।
इ राजा निआव कर्ता अउ निस्पच्छ होइ।
    उ खरे अउ नीक काम करी।

हम सुना ह कि मोआब क लोग
    बहोत अभिमानी अउ घमण्डी अहइँ।
इ सबइ लोग हिंसक अहइँ अउ बड़ा बोले भी।
    एनकर बड़ा बोल फुरइ नाहीं अहइ।
समूचा मोआब देस आपन अभिमान क कारण कस्ट उठाई।
    मोआब क सारे लोग विलाप करिहीं।
    उ सबइ लोग बहोत दुःखी रइहीं।
उ पचे अइसी वस्तुअन क इच्छा करिहीं जइसी ओनके लगे पहिले हुवा करत रहीं।
    उ पचे कीरहरासत मँ बने भए अंजीर क पूड़न क इच्छा करिहीं।
उ सबइ लोग बहोत दुःखी रहा करिहीं काहेकि हेसबोन क खेत अउर सिबमा क अंगूर क बेलन मँ अंगूर नाहीं लगाइ पावत अहइँ।
    बाहेर क सासकन अंगूर क बेलन क काट फेकेन ह।
याजेर क नगरी स लइके रेगिस्ताने मँ दूर दूर तलक सत्रु क फउजन फइल गइ अहइँ।
    उ पचे सागर क किनारे तलक जाइ पहोंची अहइँ।
“मइँ ओन लोगन क साथ बिलाप करब जउन याजेर अउ सिबमा क निवासी अहइँ
    काहेकि अंगूर नस्ट कीन्ह गएन।
मइँ हेसबोन अउ एलाले क लोगन क साथ सोक करब
    काहेकि हुवाँ फसल नाहीं होइ।
हुवाँ गर्मी क कउनो फल नाहीं होइ।
    हुवाँ पइ आनन्द क ठहाके भी नाहीं होइहीं।
10 अंगूरे क बगिया मँ आनन्द नाहीं होइ अउर न ही हुवाँ गीत गावा जइहीं।
    मइँ कटनी क समय क सारी खुसी खतम कइ देब।
दाखरस बनवइ बरे अंगूर तउ तइयार अहइँ,
    किन्तु उ सबइ बर्बाद होइ जइहीं।
11 एह बरे मइँ मोआब बरे बहोत दुःखी हउँ।
    मइँ कीरहरैम बरे बहोत दुःखी हउँ।
    मइँ ओन नगरन बरे बहोत जियादा दुःखी हउँ।
12 मोआब क निवासी आपन ऊँचे पूजा क ठउरन पइ जइहीं।
    उ सबइ लोग पराथना करइ क जतन करिहीं।
किन्तु उ सबइ ओन सबहिं बातन क लखिहीं।
    जउन कछू घटि चुकी अहइ, अउर उ पचे पराथना करइ क दुर्बल होइ जइहीं।”

13 यहोवा मोआब क बारे मँ पहिले अनेक दाई इ सबइ बातन कहे रहा। 14 अउर अब यहोवा कहत ह, “तीन बरिस मँ (उ रीति स जइसे किराये क मजदूर समय गनत ह) उ पचे सबहिं मनई अउर ओनकर उ सबइ वस्तुअन जेन पइ ओनका गर्व रहा, नस्ट होइ जइहीं। हुवाँ बहोत थो़डे स लोग बचिहीं, बहोत स नाहीं।”