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यीशु और बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना

(लूका 7:18-35)

11 अपने बारह शिष्यों को इस प्रकार समझा चुकने के बाद यीशु वहाँ से चल पड़ा और गलील प्रदेश के नगरों मे उपदेश देता घूमने लगा।

यूहन्ना ने जब जेल में यीशु के कामों के बारे मॆं सुना तो उसने अपने शिष्यों के द्वारा संदेश भेजकर पूछा कि “क्या तू वही है ‘जो आने वाला था’ या हम किसी और आने वाले की बाट जोहें?”

उत्तर देते हुए यीशु ने कहा, “जो कुछ तुम सुन रहे हो, और देख रहे हो, जाकर यूहन्ना को बताओ कि, अंधों को आँखें मिल रही हैं, लूले-लंगड़े चल पा रहे हैं, कोढ़ी चंगे हो रहे हैं, बहरे सुन रहे हैं और मरे हुए जिलाये जा रहे हैं। और दीन दुःखियों में सुसमाचार का प्रचार किया जा रहा है। वह धन्य हैं जो मुझे अपना सकता है।”

जब यूहन्ना के शिष्य वहाँ से जा रहे थे तो यीशु भीड़ में लोगों से यूहन्ना के बारे में कहने लगा, “तुम लोग इस बियाबान में क्या देखने आये हो? क्या कोई सरकंडा? जो हवा में थरथरा रहा है। नहीं! तो फिर तुम क्या देखने आये हो? क्या एक पुरुष जिसने बहुत अच्छे वस्त्र पहने हैं? देखो जो उत्तम वस्त्र पहनते हैं, वो तो राज भवनों में ही पाये जाते हैं। तो तुम क्या देखने आये हो? क्या कोई नबी? हाँ मैं तुम्हें बताता हूँ कि जिसे तुमने देखा है वह किसी नबी से कहीं ज्या़दा है। 10 यह वही है जिसके बारे में शास्त्रों में लिखा है:

‘देख, मैं तुझसे पहले ही अपना दूत भेज रहा हूँ।
वह तेरे लिये राह बनायेगा।’(A)

11 “मैं तुझसे सत्य कहता हूँ बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना से बड़ा कोई मनुष्य पैदा नहीं हुआ। फिर भी स्वर्ग के राज्य में छोटे से छोटा व्यक्ति भी यूहन्ना से बड़ा है। 12 बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना के समय से आज तक स्वर्ग का राज्य भयानक आघातों को झेलता रहा है और हिंसा के बल पर इसे छीनने का प्रयत्न किया जाता रहा है। 13 यूहन्ना के आने तक सभी भविष्यवक्ताओं और मूसा की व्यवस्था ने भविष्यवाणी की थी, 14 और यदि तुम व्यवस्था और भविष्यवक्ताओं ने जो कुछ कहा, उसे स्वीकार करने को तैयार हो तो जिसके आने की भविष्यवाणी की गयी थी, यह यूहन्ना वही एलिय्याह है। 15 जो सुन सकता है, सुने!

16 “आज की पीढ़ी के लोगों की तुलना मैं किन से करूँ? वे बाज़ारों में बैठे उन बच्चों के समान हैं जो एक दूसरे से पुकार कर कह रहे हैं,

17 ‘हमने तुम्हारे लिए बाँसुरी बजायी,
    पर तुम नहीं नाचे।
हमने शोकगीत गाये,
    किन्तु तुम नहीं रोये।’

18 बपतिस्मा देने वाला यूहन्ना आया। जो न औरों की तरह खाता था और न ही पीता था। पर लोगों ने कहा था कि उस में दुष्टात्मा है। 19 फिर मनुष्य का पुत्र आया। जो औरों के समान ही खाता-पीता है, पर लोग कहते हैं, ‘इस आदमी को देखो, यह पेटू है, पियक्कड़ है। यह चुंगी वसूलने वालों और पापियों का मित्र है।’ किन्तु बुद्धि की उत्तमता उसके कामों से सिद्ध होती है।”

अविश्वासियों को यीशु की चेतावनी

(लूका 10:13-15)

20 फिर यीशु ने उन नगरों को धिक्कारा जिनमें उसने बहुत से आश्चर्यकर्म किये थे। क्योंकि वहाँ के लोगों ने पाप करना नहीं छोड़ा और अपना मन नहीं फिराया था। 21 अरे अभागे खुराजीन, अरे अभागे बैतसैदा[a] तुम में जो आश्चर्यकर्म किये गये, यदि वे सूर और सैदा में किये जाते तो वहाँ के लोग बहुत पहले से ही टाट के शोक वस्त्र ओढ़ कर और अपने शरीर पर राख मल[b] कर खेद व्यक्त करते हुए मन फिरा चुके होते। 22 किन्तु मैं तुम लोगों से कहता हूँ न्याय के दिन सूर और सैदा की स्थिति तुमसे अधिक सहने योग्य होगी।[c]

23 “और अरे कफरनहूम, क्या तू सोचता है कि तुझे स्वर्ग की महिमा तक ऊँचा उठाया जायेगा? तू तो अधोलोक में नरक को जायेगा। क्योंकि जो आश्चर्यकर्म तुझमें किये गये, यदि वे सदोम में किये जाते तो वह नगर आज तक टिका रहता। 24 पर मैं तुम्हें बताता हूँ कि न्याय के दिन तेरे लोगों की हालत से सदोम की हालत कहीं अच्छी होगी।”

यीशु को अपनाने वालों को सुख चैन का वचन

(लूका 10:21-22)

25 उस अवसर पर यीशु बोला, “परम पिता, तू स्वर्ग और धरती का स्वामी है, मैं तेरी स्तुति करता हूँ क्योंकि तूने इन बातों को, उनसे जो ज्ञानी हैं और समझदार हैं, छिपा कर रखा है। और जो भोले भाले हैं उनके लिए प्रकट किया है। 26 हाँ परम पिता यह इसलिये हुआ, क्योंकि तूने इसे ही ठीक जाना।

27 “मेरे परम पिता ने सब कुछ मुझे सौंप दिया और वास्तव में परम पिता के अलावा कोई भी पुत्र को नहीं जानता। और कोई भी पुत्र के अलावा परम पिता को नहीं जानता। और हर वह व्यक्ति परम पिता को जानता है, जिसके लिये पुत्र ने उसे प्रकट करना चाहा है।

28 “हे थके-माँदे, बोझ से दबे लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें सुख चैन दूँगा। 29 मेरा जुआ लो और उसे अपने ऊपर सँभालो। फिर मुझसे सीखो क्योंकि मैं सरल हूँ और मेरा मन कोमल है। तुम्हें भी अपने लिये सुख-चैन मिलेगा। 30 क्योंकि वह जुआ जो मैं तुम्हें दे रहा हूँ बहुत सरल है। और वह बोझ जो मैं तुम पर डाल रहा हूँ, हल्का है।”

Footnotes

  1. 11:21 खुराजीन, बैतसैदा कफ़रनहूम झील गलील के किनारे बसे नगर जहाँ यीशु ने उपदेश दिये थे।
  2. 11:21 राख मल उन दिनों लोग शोक व्यक्त करने के लिए इस प्रकार के मोटे कपड़े पहना करते थे, और अपने शरीर पर राख मला करते थे।
  3. 11:22 सूर और सैदा उन नगरों के नाम हैं जहाँ बहुत बुरे लोग रहा करते थे।

बपतिस्मा देने वाले योहन की शंका का समाधान

(लूकॉ 7:18-35)

11 जब येशु अपने बारह शिष्यों को निर्देश दे चुके, वह शिक्षा देने और प्रचार के लिए वहाँ से उनके नगरों में चले गए.

बन्दीगृह में जब योहन ने मसीह के कामों के विषय में सुना उन्होंने अपने शिष्यों को येशु से यह पूछने भेजा, “क्या आप वही है, जिस की प्रतिज्ञा तथा प्रतीक्षा की हुई हैं, या हम किसी अन्य का इंतज़ार करें?”

येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “जो कुछ तुम देख और सुन रहे हो उसकी सूचना योहन को दे दो: अंधे देख पा रहे हैं, लँगड़े चल रहे हैं, कोढ़ के रोगियों को शुद्ध किया जा रहा है, बहिरे सुनने लगे हैं, मरे हुए दोबारा जीवित किए जा रहे हैं तथा कंगालों को सुसमाचार सुनाया जा रहा है. धन्य है वह, जिसका विश्वास मुझ पर से नहीं उठता.”

जब योहन के शिष्य वहाँ से जा ही रहे थे, येशु भीड़ से योहन के विषय में कहने लगे.

“तुम जंगल में क्या देखने गए हुए थे? वायु द्वारा झुलाए हुए सरकण्डे को? यदि यह नहीं तो फिर क्या देखने गए थे? कीमती वस्त्र धारण किए हुए किसी व्यक्ति को? जो ऐसे वस्त्र धारण करते हैं उनका निवास तो राजभवनों में होता है. तुम क्यों गए थे? किसी भविष्यद्वक्ता से भेंट करने? हाँ! मैं तुम्हें बता रहा हूँ कि यह वह हैं, जो भविष्यद्वक्ता से भी बढ़कर हैं 10 यह वह हैं जिनके विषय में लिखा गया है:

“मैं अपना दूत तुम्हारे आगे भेज रहा हूँ,
    जो तुम्हारे आगे-आगे जा कर तुम्हारे लिए मार्ग तैयार करेगा.

11 सच तो यह है कि आज तक जितने भी मनुष्य हुए हैं उनमें से एक भी बपतिस्मा देने वाले योहन से बढ़कर नहीं. फिर भी स्वर्ग-राज्य में छोटे से छोटा भी योहन से बढ़कर है. 12 बपतिस्मा देने वाले योहन के समय से ले कर अब तक स्वर्ग-राज्य प्रबलतापूर्वक फैल रहा है और आकांक्षी-उत्साही व्यक्ति इस पर अधिकार कर रहे हैं. 13 भविष्यद्वक्ताओं तथा व्यवस्था की भविष्यवाणी योहन तक ही थीं 14 यदि तुम इस सच में विश्वास कर सको तो सुनो: योहन ही वह एलियाह हैं जिनका दोबारा आगमन होना था. 15 जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले.

16 “इस पीढ़ी की तुलना मैं किस से करूँ? यह हाट में बैठे हुए उन बालकों के समान है, जो पुकारते हुए अन्यों से कह रहे हैं:

17 “‘जब हमने तुम्हारे लिए बाँसुरी बजाई,
    तुम न नाचे;
हमने शोकगीत भी गाए,
    फिर भी तुम न रोए.

18 “बपतिस्मा देने वाले योहन न तो रोटी का सेवन करते थे, न दाखरस का इसलिए उन्होंने घोषित कर दिया, ‘उसमें प्रेत का वास है.’ 19 मानव-पुत्र का खान-पान सामान्य है और उन्होंने घोषित कर दिया, ‘अरे, वह तो पेटू और पियक्कड़ है; वह तो चुँगी लेनेवालों और अपराधी व्यक्तियों का मित्र है!’ बुद्धि अपनी सन्तान द्वारा साबित हुई है.”

झील तट के नगरों पर विलाप

20 येशु ने अधिकांश अद्भुत काम इन्हीं नगरों में किए थे; फिर भी इन नगरों ने पश्चाताप नहीं किया था, इसलिए येशु इन नगरों को धिक्कारने लगे.

21 “धिक्कार है तुझ पर कोराजिन! धिक्कार है तुझ पर बैथसैदा! ये ही अद्भुत काम, जो तुझमें किए गए हैं यदि त्सोर और त्सीदोन नगरों में किए जाते तो वे विलाप-वस्त्र पहन, सिर पर राख डाल कब के पश्चाताप कर चुके होते! 22 फिर भी मैं कहता हूँ, सुनो: न्याय-दिवस पर त्सोर और त्सीदोन नगरों का दण्ड तेरे दण्ड से अधिक सहने योग्य होगा. 23 और कफ़रनहूम, तू! क्या तू स्वर्ग तक ऊँचा किए जाने की आशा कर रहा है? अरे! तुझे तो पाताल में उतार दिया जाएगा क्योंकि जो अद्भुत काम तुझ में किए गए, यदि वे ही सदोम नगर में किए गए होते तो वह आज भी बना होता. 24 फिर भी आज जो मैं कह रहा हूँ उसे याद रख: न्याय-दिवस पर सदोम नगर का दण्ड तेरे दण्ड से अधिक सहने योग्य होगा.”

सरल-हृदय लोगों पर ईश्वरीय सुसमाचार का प्रकाशन

25 यह वह अवसर था जब येशु ने इस प्रकार कहा.

“पिता, स्वर्ग तथा पृथ्वी के प्रभु, मैं आपकी वन्दना करता हूँ कि आपने ये सच समझदार और ज्ञानियों से तो गुप्त रखे किन्तु इन्हें मासूम शिशुओं पर प्रकट किया है. 26 सच है, पिता, क्योंकि इसी में आपका परम सन्तोष था.

27 “मेरे पिता द्वारा सब कुछ मुझे सौंप दिया गया है. पिता के अलावा कोई पुत्र को नहीं जानता और न ही कोई पिता को जानता है, सिवाय पुत्र के तथा उनके, जिन पर वह प्रकट करना चाहें.

28 “तुम सभी, जो थके हुए तथा भारी बोझ से दबे हो, मेरे पास आओ, तुम्हें विश्राम मैं दूँगा. 29 मेरा जुआ अपने ऊपर ले लो और मुझसे सीखो क्योंकि मैं दीन और हृदय से नम्र हूँ और तुम्हें मन में विश्राम प्राप्त होगा 30 क्योंकि सहज है मेरा जुआ और हल्का है मेरा बोझ.”