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कलीसिया म एकता

तब परभू खातिर एक कैदी के रूप म, मेंह तुमन ले बिनती करथंव कि ओ बुलावा के लइक जिनगी जीयव, जेकर बर तुमन बलाय गे हवव। पूरा-पूरी दीन अऊ नम्र बनव अऊ धीर धरके मया म एक-दूसर के सह लेवव। सांति के बंधन म बंधाके पबितर आतमा के एकता ला बनाय रखे के पूरा कोसिस करव। एक देहें अऊ एक पबितर आतमा हवय, जइसने कि एके आसा हवय, जेकर बर परमेसर ह तुमन ला बलाय हवय। एक परभू, एक बिसवास अऊ एक बतिसमा अय। अऊ जम्मो झन के एके परमेसर अऊ ददा अय, जऊन ह जम्मो के ऊपर अऊ जम्मो के बीच म अऊ जम्मो म हवय।

मसीह के ईछा के मुताबिक, हमन ले हर एक झन ला अनुग्रह दिये गे हवय। एकरसेति परमेसर के बचन ह कहिथे: “जब ओह ऊंचहा जगह म चघिस, ओह अपन संग बंधुआमन ला ले गीस, अऊ मनखेमन ला बरदान दीस।”[a] (ओह ऊपर चघिस – एकर मतलब होथे कि ओह पहिली, धरती के खाल्‍हे भागमन म उतरिस। 10 जऊन ह खाल्‍हे उतरिस, एह ओहीच अय, जऊन ह अकासमन ले घलो बहुंत ऊपर चघिस, ताकि जम्मो संसार ला अपन उपस्थिति ले भर देवय।) 11 एह ओ अय, जऊन ह कुछू झन ला प्रेरित, कुछू झन ला अगमजानी, कुछू झन ला सुघर संदेस के परचारक अऊ कुछू झन ला पास्टर अऊ गुरूजी होय के बरदान दीस, 12 ताकि परमेसर के मनखेमन सेवा के काम खातिर तियार करे जावंय अऊ मसीह के देहें (कलीसिया) ह बढ़त जावय, 13 जब तक कि हमन जम्मो झन बिसवास म अऊ परमेसर के बेटा के गियान म एक सहीं नइं होवन, अऊ परिपक्व मनखे बनके ओ पूरा सिद्धता ला नइं पा लेवन, जऊन ह मसीह म पाय जाथे।

14 तब हमन लइकामन सहीं नइं रहिबो, जऊन मन मनखेमन के धूर्तता अऊ चतुरई के दुवारा ओमन के धोखा देवइया योजना म पड़ जाथें अऊ ओमन के उपदेस के झोंका ले डावां-डोल होके एती-ओती बहकाय जाथें। 15 पर मया म सच ला गोठियाबो अऊ हमन जम्मो बात म, ओम बढ़त जाबो जऊन ह मुड़ी (मुखिया) अय याने कि मसीह। 16 अऊ ओकर ले जम्मो देहें जुड़े रहिथे, अऊ ओम हर एक जोड़ के दुवारा जम्मो देहें ह एक संग बने रहिथे; अऊ जब हर भाग ह अपन काम करथे, त एह अपन-आप मया म बढ़त अऊ बनत जाथे।

अंजोर के लइकामन सहीं जिनगी बितई

17 एकरसेति, मेंह तुमन ला कहत हंव अऊ परभू म जोर देवत हंव कि जइसने आनजातमन अपन मन के बेकार सोच म चलथें, वइसने तुमन बिलकुल झन चलव। 18 ओमन के मन ह अंधियार म हवय। ओमन अपन हिरदय ला कठोर कर ले हवंय, जेकर कारन ओमन म अगियानता हवय अऊ अगियानता के कारन ओमन परमेसर के जिनगी ले अलग हो गे हवंय। 19 ओमन ला कोनो सरम नइं ए, ओमन अपन-आप ला दुराचार के काम बर दे देय हवंय, ताकि हर किसम के असुध काम म हमेसा देहें के वासना म बने रहंय।

20 पर तुमन मसीह के अइसने सिकछा नइं पाय हवव। 21 तुमन सही रूप म, ओकर सुने हवव अऊ ओ सच्‍चई के सिकछा पाय हवव, जऊन ह यीसू म हवय। 22 एकरसेति अपन पुराना चाल-चलन ला छोंड़ देवव, जऊन ह तुम्‍हर पहिली के जिनगी ले संबंध रखथे अऊ अपन धोखा देवइया लालसा के दुवारा बिगड़त जाथे; 23 अऊ अपन मन के आतमा म नवां बन जावव; 24 अऊ नवां चाल-चलन ला धर लेवव, जऊन ह सही के धरमीपन अऊ पबितरता म, परमेसर के सरूप म सिरजे गे हवय।

25 एकरसेति, लबारी गोठियाय ला छोंड़ देवव अऊ तुमन ले हर एक झन अपन पड़ोसी ले सच गोठियावय, काबरकि हमन जम्मो झन एके देहें के सदस्य अन। 26 गुस्सा त करव, फेर पाप झन करव; सूरज के बुड़त के पहिली अपन गुस्सा ला थूक देवव। 27 अऊ सैतान ला कोनो मऊका झन देवव। 28 जऊन ह चोरी करथे, ओह अब चोरी झन करय, पर ईमानदारी के काम म अपन हांथ ले मिहनत करय; ताकि जऊन मन ला जरूरत हवय, ओमन ला देय बर ओकर करा कुछू रहय।

29 तुम्‍हर मुहूं ले कोनो खराप बात झन निकरय, पर सिरिप ओहीच बात निकरय, जऊन ह जरूरत के मुताबिक आने मन के बढ़ती म मददगार होथे, ताकि जऊन मन सुनंय, ओमन ला एकर ले फायदा होवय। 30 अऊ परमेसर के पबितर आतमा ला उदास झन करव, जेकर दुवारा तुम्‍हर ऊपर ओ दिन बर मुहर लगे हवय, जब पाप ले मुक्ति होही। 31 जम्मो किसम के करू बात, रोस, गुस्सा, कलह, निन्दा अऊ जम्मो किसम के बईरता ला छोंड़ देवव। 32 एक-दूसर के ऊपर दया अऊ किरपा करव, अऊ जइसने परमेसर ह मसीह म तुमन ला छेमा करिस, वइसने तुमन घलो एक-दूसर ला छेमा करव।

Footnotes

  1. 4:8 भजन-संहिता 68:18