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“अय्यूब कहेस, “मनई क धरती पइ कड़ा सघर्ष करइ क पड़त ह।
    ओकर जिन्नगी भाड़े क मजदूर क जिन्नगी जइसी होत ह।
मनई उ भाड़ा क मजदूर जइसा अहइ, जउन दिन क अन्त मँ ठंडी छाँह चाहत ह,
    अउ मजदूरी क इन्तज़ार करत ह।
महीना दर महीना बेचइनी क बीत गवा अहइँ
    अउर पीरा भइ राति दर रात मोका दइ दीन्ह गइ अहइ।
जब मइँ ओलरत हउँ, मइँ सोचत रहत हउँ,
    ‘मोरे उठइ क कबहुँ अउर कितनी देर अहइ?’
मुला इ रात तउ घसेटत चला जात ह।
    मइँ तउ पीरा झेल रहत हउँ अउ करवट बदलत हउँ जब तलक सूरज नाहीं निकरि आवत।
मोर तन कीरन अउ धूरि स ढाक लीन्ह अहइ।
    मोर चमड़ी चटक गइ अहइ अउर एहमाँ रिसत भए फोड़ा भरि गवा अहइँ।

“मोर दिन जुलाहा क फिरकी स भी जियादा तेज चाल स बीतत अहइँ।
    मोर जिन्नगी क आखीर बिना कउनो आसा क होत अहइ।
हे परमेस्सर, याद राखा मोर जिन्नगी सिरिफ एक ठु साँस अहइ।
    अब मोर आँखी कछू भी नाहीं लखिहीं।
अबहिं तू मोका लखत अहा मुला फुन तू मोका नाहीं लख पउब्या।
    तू मोका हेरब्या मुला तब तलक मइँ जाइ चुका होब।
एक बादर छोटा होइ जात ह अउर आखर मँ लुप्त होइ जात ह।
    इ तरह एक मनई जउन मर जात ह अउर कब्र मँ गाड़ दीन्ह जात ह, उ फुन वापिस नाहीं आवत ह।
10 उ आपन पुराना घरे क वापिस कबहुँ नाहीं लउटी।
    ओकर घर ओका फुन कबहुँ भी नाहीं जानी।

11 “एह बरे मइँ चुप नाहीं रहब।
    मइँ सब कहि डाउब।
    मोर आतिमा दुखी अहइ अउर मोर मन कडुआहट स भरा अहइ,
    एह बरे मइँ उ सब बातन क बारे मँ सिकायत करब जउन मोर संग घटेस ह।
12 हे परमेस्सर, तू मोर पइ पहरेदार काहे राखेस ह? का मइँ समुद्दर हउँ,
    या समुददर क कउनो दैत्य?
13-14 हे परमेस्सर, जब मोका लगत ह कि खाट मोका सान्ति देइ
    अउर मोर पलंग मोका चइन अउ बिस्राम देइ,
    तब मोका सपना मँ डरावत ह।
15 मइँ आपन गला घोंटि जाइ पसन्द करब्या।
    मउत इ देह मँ रहइ स बेहतर अहइ।
16 मइँ आपन जिन्नगी स घिना करत हउँ।
    मइँ हमेसा अइसा जिअत रहब नाहीं चाहत हउँ।
मोका अकेला रहइ दया।
    मोर जिन्नगी बेकार अहइ।
17 हे परमेस्सर, मनई तोहरे बरे काहे एँतना महत्वपूर्ण अहइ?
    काहे मनई पइ तोहका एँतना धियान देइ चाहीं?
18 हर भिन्सारे काहे तू मनई क लगे आवत ह
    अउर हर छिन तू काहे ओका परखा करत अहा?
19 हे परमेस्सर, तू कबहुँ भी मोका नज़र अन्दाज़ नाही करत ह
    अउर मोका एक छन अकेल्ला नाहीं छोड़त ह।
20 हे परमेस्सर, तू हरेक चिजियन पइ जउन हम पचे करत हीं निगाह रखत ह!
    जदि मइँ पाप किहा तउ मइँ का किहा?
तू मोका काहे निसाना बनाया ह?
    मइँ तोहार बरे काहे बोझ बन गवा हउँ?
21 का तू मोर सबइ गलती क छिमा नाहीं करत्या
    अउर मोरे पापन क तू काहे छिमा नाहीं करत्या?
मइँ हाली ही मरि जाब अउर कब्र मँ चला जाब।
    जब तू मोका हेरब्या मुला तब तलक मइँ जाइ चुका होब।”