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संसार के अंत समय के चिन्‍हां

(मत्ती 24:1-2; लूका 21:5-6)

13 जब यीसू ह मंदिर ले निकरत रिहिस, तब ओकर चेलामन ले एक झन ओला कहिस, “हे गुरू! देख, कइसने सुन्‍दर-सुन्‍दर पथरा अऊ ओम ले बने सुन्‍दर-सुन्‍दर भवन।”

यीसू ह ओला कहिस, “तेंह जऊन बड़े-बड़े भवन ला देखत हवस? इहां एको ठन पथरा नइं बांचय; जम्मो ह गिराय जाही।”

जब यीसू ह जैतून पहाड़ ऊपर मंदिर कोति मुहूं करके बईठे रिहिस, तब पतरस, याकूब, यूहन्ना अऊ अन्द्रियास अलग म ओकर ले पुछिन, “हमन ला बता कि ए बातमन कब होही? अऊ जब ए बातमन पूरा होय के समय आही, तब ओ बखत का चिन्‍हां दिखही?”

यीसू ह ओमन ला कहिस, “सचेत रहव कि कोनो तुमन ला झन भरमावय। कतको झन मोर नांव म आके कहिहीं कि मेंह मसीह अंव, अऊ बहुंते झन ला भरमाहीं। जब तुमन लड़ई अऊ युद्ध के चरचा सुनव, त झन घबराहू काबरकि ए बात के होवई जरूरी ए, पर ओ बखत अंत नइं होवय। काबरकि देस ऊपर देस अऊ राज ऊपर राज चढ़ई करहीं। जगह-जगह म भुइंडोल होही अऊ अकाल पड़ही। एह लइका जने के पीरा के सुरूआत सहीं होही।

अपन बारे म सचेत रहव काबरकि मनखेमन तुमन ला धरके अदालत म ले जाहीं अऊ तुमन ला यहूदीमन के सभा घर म पीटहीं। मोर खातिर तुमन हाकिम, अऊ राजामन के आघू म ठाढ़ होहू कि ओमन ला मोर गवाही देवव। 10 अऊ एह जरूरी ए कि सुघर संदेस ह पहिली जम्मो देस म मनखेमन ला परचार करे जावय। 11 जब ओमन तुमन ला पकड़के अदालत म ले जावंय, तब आघू ले फिकर झन करहू कि हमन का कहिबो। पर जऊन कुछू तुमन ला ओ घड़ी बताय जाथे, ओही कहव काबरकि बोलइया तुमन नइं, पर पबितर आतमा अय।

12 ओ समय भाई ह भाई ला अऊ बाप ह बेटा ला मरवाय बर दूसर के हांथ म सऊंपही अऊ लइकामन अपन दाई-ददा के बिरोध म होके ओमन ला मरवाय बर दूसर के हांथ म सऊंपहीं। 13 मोर खातिर, जम्मो मनखेमन तुमन ले बईरता करहीं, पर जऊन ह आखिरी तक धीरज धरे रहिही, ओही ह उद्धार पाही।

14 जब तुमन बिनासकारी अब्‍बड़ घिन मनखे ला उहां ठाढ़े देखव जिहां ओकर होना उचित नो हय – पढ़इया ह समझ ले – तब जऊन मन यहूदिया म होवंय, ओमन पहाड़ ऊपर भाग जावंय। 15 जऊन मनखे ह अपन घर के छानी म होवय, ओह घर के भीतरी ले कुछू लाने बर झन उतरय। 16 अऊ जऊन ह खेत म होवय, ओह अपन ओढ़ना लाने बर झन लहुंटय। 17 ओ दिन म जऊन माईलोगनमन आसरा (पेट) म होहीं अऊ जऊन दाईमन लइकामन ला गोरस पीयावत होहीं, ओमन खातिर हाय-हाय। 18 परमेसर ले बिनती करत रहव कि एह जड़काला म झन होवय। 19 काबरकि ओ दिनमन म अइसने बिपत्ती आही कि जब ले परमेसर ह संसार ला रचे हवय, तब ले लेके अब तक न तो अइसने होय हवय अऊ न कभू फेर होही। 20 अऊ कहूं परभू ह ओ दिनमन ला घटाय नइं होतिस, त कोनो जीवमन नइं बांचतिन। पर अपन चुने मनखेमन के खातिर, ओह ओ दिनमन ला घटाईस। 21 ओ बखत कहूं कोनो तुमन ला ए कहय कि देखव मसीह ह इहां हवय, या देखव मसीह ह उहां हवय, त बिसवास झन करहू। 22 काबरकि लबरा मसीह अऊ लबरा अगमजानीमन परगट होहीं अऊ अइसने चिन्‍हां अऊ चमतकार देखाहीं कि कहूं हो सकय, त चुने मनखेमन ला घलो भरमा देवंय। 23 एकरसेति सचेत रहव। मेंह तुमन ला जम्मो बात आघू ले बता दे हवंव।”

मनखे के बेटा के अवई

(मत्ती 24:29-31; लूका 21:25-28)

24 “ओ बिपत पड़े के बाद,
    ओ दिनमन म सूरज ह अंधियार हो जाही अऊ चंदा ह अपन अंजोर नइं दिही।
25 अऊ अकास के जम्मो सक्तिमन हलाय जाहीं अऊ तारामन गिर जाहीं।[a]

26 तब मनखेमन मनखे के बेटा ला अब्‍बड़ सक्ति अऊ महिमा के संग बादर म आवत देखहीं। 27 अऊ ओह अपन स्वरगदूतमन ला पठोके धरती के ए छोर ले लेके धरती के ओ छोर तक – चारों दिग ले, अपन चुने मनखेमन ला संकेलही।

28 अंजीर के रूख ले ए बात सिखव। जब ओकर डंगालीमन कोंवर हो जाथें अऊ पानामन निकरे लगथें, तब तुमन जान लेथव कि धूपकाला ह लकठा म हवय। 29 ओही किसम ले जब तुमन ए बातमन ला होवत देखव, त जान लेवव कि समय ह लकठा म आ गे हवय अऊ सुरू होवइयाच हवय। 30 मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि जब तक ए बातमन नइं हो लिहीं, तब तक ए पीढ़ी के मनखेमन नइं मरंय। 31 अकास अऊ धरती ह टर जाही, पर मोर बचन ह कभू नइं टरय।”

ओ दिन अऊ समय ह अनजान

(मत्ती 24:36-44)

32 “ओ दिन अऊ समय के बारे म कोनो नइं जानंय, न स्‍वरग के दूतमन, न बेटा, पर ओला सिरिप ददा जानथे। 33 सचेत अऊ सावधान रहव काबरकि तुमन नइं जानव कि ओ समय ह कब आही। 34 एह ओ मनखे के सहीं अय, जऊन ह परदेस जाथे अऊ जाय के पहिली अपन घर ला अपन सेवकमन के भरोसा म छोंड़के ओमन ला अपन-अपन काम बता देथे अऊ घर के चौकीदार ला सचेत रहे के हुकूम देथे।

35 ए खातिर सचेत रहव काबरकि तुमन नइं जानत हव कि घर के मालिक ह कब आ जाही, संझा बखत या आधा रतिहा या कुकरा बासत या बड़े बिहनियां। 36 अइसने झन होवय कि ओह अचानक आवय अऊ तुमन ला सुतत पावय। 37 जऊन बात मेंह तुमन ला कहत हंव, ओहीच बात मेंह जम्मो झन ला कहत हंव – सचेत रहव।”

Footnotes

  1. 13:25 यसायाह 13:10