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हर एक महा पुरोहित ह मनखेमन ले चुने जाथे अऊ ओह मनखेमन कोति ले परमेसर के सेवा करे बर ठहिराय जाथे कि ओह परमेसर ला भेंट अऊ पाप खातिर बलि चघावय। ओह अगियानी अऊ भटके मनखेमन ले नरमी से बरताव करे सकथे, काबरकि ओह खुद एक निरबल मनखे ए। एकरे कारन, ओला खुद के पाप खातिर अऊ संगे-संग मनखेमन के पाप खातिर बलिदान चघाना जरूरी ए।

कोनो खुद होके आदर के ए पद ला नइं लेवय; ओकर बुलाहट परमेसर के दुवारा होना जरूरी ए, जइसने कि हारून ह बलाय गे रिहिस। एकरसेति, मसीह घलो महा पुरोहित बने के महिमा ला अपन ऊपर नइं लीस। पर परमेसर ह ओला कहिस,

“तेंह मोर बेटा अस;
    आज मेंह तोला पैदा करे हवंव।”[a]

ओह दूसर जगह म घलो कहिथे,

“तेंह मलकिसिदक के सहीं
    सदाकाल बर एक पुरोहित अस।”[b]

धरती म जब यीसू ह रिहिस, त ओह चिचिया-चिचियाके अऊ आंसू बोहाके परमेसर ले पराथना अऊ बिनती करिस, जऊन ह ओला मिरतू ले बचा सकत रिहिस, अऊ ओकर भक्ति के कारन, परमेसर ह ओकर बात ला सुनिस। ओह परमेसर के बेटा रिहिस, फेर दुःख सहे के दुवारा, ओह हुकूम माने बर सिखिस, अऊ जब ओह सिद्ध हो गीस, त ओह ओ जम्मो मन बर सदाकाल के उद्धार के जरिया बन गीस, जऊन मन ओकर हुकूम ला मानथें, 10 अऊ मलकिसिदक के सहीं, परमेसर ह ओला महा पुरोहित के पद दीस।

बिसवास ले दूरिहा होय के बिरोध म चेतउनी

11 एकर बारे म कहे बर, हमर करा कतको बात हवय, पर एला समझाना कठिन ए, काबरकि तुमन बहुंत धीरे सिखथव। 12 वास्तव म, अब तक तुमन ला गुरू बन जाना रिहिस, पर अभी घलो ए बात के जरूरत हवय कि कोनो तुमन ला फेर परमेसर के बचन के सुरू के बातमन ला सिखोवय। ठोस भोजन के बदले, तुमन ला अभी घलो गोरस के जरूरत हवय। 13 जऊन ह गोरस पीके जीथे, ओला धरमीपन के पहिचान नइं रहय, काबरकि ओह अभी तक लइका हवय। 14 पर ठोस भोजन ह सियाना मनखेमन बर अय, जऊन मन लगातार अभियास के दुवारा भलई अऊ बुरई के पहिचान करे म, अपन-आप ला पक्‍का कर ले हवंय।

Footnotes

  1. 5:5 भजन-संहिता 2:7
  2. 5:6 भजन-संहिता 110:4