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एकरसेति, मयारू लइकामन सहीं परमेसर के अनुकरन (नकल) करव, अऊ मया के जिनगी जीयव, जइसने मसीह ह हमन ला मया करिस अऊ अपन-आप ला हमर बर महकत भेंट अऊ बलिदान के रूप म परमेसर ला दे दीस।

पर तुम्‍हर बीच म छिनारी या कोनो किसम के असुध बात या लालच के चरचा तक झन होवय, काबरकि ए बातमन परमेसर के पबितर मनखेमन बर उचित नो हंय। अऊ तुम्‍हर बीच म न खराप बात, न मूर्खता के बात अऊ न खराप हंसी-ठट्ठा होवय, काबरकि ए बातमन तुम्‍हर बर ठीक नो हंय, पर तुम्‍हर बीच म धनबाद के बात होवय। तुमन ए निस्चित जानव कि जऊन ह छिनार, असुध या लालची मनखे अय, ओह एक मूरती-पूजक के सहीं अय अऊ अइसने मनखे बर मसीह के अऊ परमेसर के राज म कोनो भाग नइं ए। कोनो तुमन ला बेकार के बात करके धोखा झन देवय, काबरकि अइसने बात के कारन परमेसर के परकोप ओमन ऊपर भड़कथे, जऊन मन ओकर बात नइं मानंय। एकरसेति, ओमन के संग कोनो नाता झन रखव।

काबरकि एक समय रिहिस, जब तुमन अंधियार म रहेव, पर अब तुमन परभू के चेला बने के कारन अंजोर म हवव। एकरसेति अंजोर के संतान सहीं जिनगी बितावव, (काबरकि जिहां अंजोर हवय, उहां जम्मो किसम के भलई, धरमीपन अऊ सच्‍चई होथे)। 10 अऊ ए पता लगावव कि परभू ह कोन बात ले खुस होथे। 11 अंधियार के बेकार के काम म भागी झन होवव; फेर ओमन के खरापी ला परगट करव। 12 काबरकि जऊन काम ओमन गुपत म करथें, ओकर बारे म चरचा करई घलो सरम के बात अय। 13 पर हर ओ चीज जऊन ह अंजोर के दुवारा परगट करे जाथे, ओह दिखे लगथे, 14 काबरकि अंजोर ह हर एक चीज ला देखे के लइक बनाथे; एकरे कारन, ए कहे गे हवय:

“हे सोवइया, जाग,
    मरे मन ले जी उठ,
    अऊ मसीह ह तोर ऊपर चमकन लगही।”

15 एकरसेति बहुंत सचेत रहव कि तुमन जिनगी म कइसने चलत हव – मुरुख मनखे सहीं नइं, पर बुद्धिमानमन सहीं चलव। 16 तुमन ला मिले हर मऊका के जादा से जादा फायदा उठावव, काबरकि समय ह खराप हवय। 17 एकरसेति, मुरुख झन बनव, पर जानव कि परभू के मनसा का हवय। 18 मंद पीके मतवाल झन बनव, काबरकि एकर ले बहुंत खराप काममन होथें। एकर बदले अपन-आप ला पबितर आतमा ले भर लेवव। 19 एक-दूसर ले परमेसर के भजन, इस्तुति अऊ आतमिक गीत के संग गोठियावव। परभू बर अपन जम्मो हिरदय ले गावव अऊ बजावव। 20 अऊ हमेसा, हर एक बात बर, हमर परभू यीसू मसीह के नांव म परमेसर ददा ला धनबाद देवव।

घरवाला अऊ घरवाली

21 मसीह के आदर म, एक-दूसर के अधीन रहव।

22 हे घरवालीमन, अपन घरवालामन के अधीन रहव, जइसने कि परभू के अधीन रहिथव। 23 काबरकि घरवाला ह घरवाली के मुड़ी अय, जइसने मसीह ह कलीसिया के मुड़ी अय। कलीसिया ह ओकर देहें अऊ ओह कलीसिया के उद्धार करइया ए। 24 जइसने कलीसिया ह मसीह के अधीन रहिथे, वइसने घरवालीमन घलो हर एक बात म अपन घरवालामन के अधीन रहंय।

25 हे घरवालामन, अपन-अपन घरवाली ला मया करव, जइसने मसीह ह कलीसिया ला मया करिस अऊ अपन-आप ला ओकर बर दे दीस, 26 ताकि बचन के परचार के जरिये ओला पानी म धोके साफ करय अऊ ओला पबितर बनावय; 27 अऊ ओला एक महिमामय कलीसिया के रूप म अपन-आप ला पेस करय, जऊन म न कोनो दाग, न झूर्री, न कोनो आने दोस रहय। पर ओह पबितर अऊ निरदोस होवय। 28 एही किसम ले घरवालामन अपन-अपन घरवालीमन ले अपन खुद के देहें सहीं मया करंय। जऊन ह अपन घरवाली ले मया करथे, ओह अपन-आप ले मया करथे। 29 कोनो मनखे अपन खुद के देहें ले घिन नइं करय, पर ओह ओकर पालन-पोसन करथे अऊ देख-रेख करथे, जइसने कि मसीह ह कलीसिया के संग करथे; 30 काबरकि हमन ओकर देहें के अंग अन। 31 परमेसर के बचन म लिखे हवय: “एकरे कारन मनखे ह अपन दाई-ददा ला छोंड़ दिही अऊ अपन घरवाली के संग मिले रहिही अऊ ओ दूनों एक तन हो जाहीं।”[a] 32 एह एक बड़े भेद के बात अय – पर मेंह मसीह अऊ कलीसिया के बारे म कहत हवंव। 33 पर जइसने घलो होवय, तुमन ले हर एक झन अपन घरवाली ला अपन सहीं मया करय, अऊ घरवाली ह अपन घरवाला के आदर-मान करय।

Footnotes

  1. 5:31 उतपत्ती 2:24