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35 एलीहू कहत चला गवा। उ बोल।

“मइँ अय्यूब, इ तोहरे बरे कहब उचित नाहीं कि
    ‘मइँ अय्यूब, परमेस्सर क खिलाफ निआउ पइ हउँ।’
अय्यूब, तू परमेस्सर स पूछत अहा,
    ‘मनई परमेस्सर क खुस कइके का पाई?
    अगर मइँ पाप न करउँ तउ मोका का फायदा होइ?’

“अय्यूब, मइँ तोहका अउ तोहरे मीतन क जउन हिआँ तोहरे संग अहइँ जवाब देइ चाहत हउँ।
अय्यूब! ऊपर लख अकासे मँ निगाह उठाइके
    कि बादर तोहसे जियादा ऊँचा अहइँ।
अय्यूब, अगर तू पाप करा तउ परमेस्सर क कछू नाहीं बिगड़त,
    अउर अगर तोहार पाप बहोत होइ जाइँ तउ ओहसे परमेस्सर क कछू नाहीं बिगड़त।
अय्यूब, अगर तू भला अहा तउ एहसे परमेस्सर क भला नाहीं होत,
    तोहसे परमेस्सर क कछु नाहीं मिलत।
अय्यूब, तोहार पाप खुद तोहरे जइसे मनई क नोस्कान पहुँचावत हीं,
    तोहार नीक करम बस तोहरे जइसे मनई क हीं भला करत हीं।

“अगर बुरे मनइयन क संग अनिआउ होत ह अउर बुरा बेउहार कीन्ह जात ह, तउ उ पचे मदद क पुकारत हीं,
    उ पचे बड़के बड़के बरिआर क मदद पावइ क दोहाइ देत हीं।
10 मुला बुरे मनइयन परमेस्सर स मदद नाहीं माँगतेन।
उ पचे नाहीं कहत हीं, ‘परमेस्सर जउन हमका रचेस ह उ कहाँ बा?
    परमेस्सर हम लोगन क रात मँ गावइ बरे गीत देत ह।
11 उ बुरे मनइयन इ नाहीं कहा करतेन कि, परमेस्सर जउन गोरु
    अउ चिरइयन स जियादा बुध्दिमान मनई क बनाएस ह उ कहाँ बा?’

12 “अगर बुरे लोग परमेस्सर क मदद पावइ क दुहाइ देत हीं तउ परमेस्सर ओनका जवाब नाहीं देत ह।
    काहेकि उ पचे बहोत घमंडी अउर बुरा होत हीं।
13 इ सच अहइ कि परमेस्सर ओनकर बेकार क दुहाइ क नाहीं सुनी।
    सर्वसक्तीमान परमेस्सर ओनँ पइ धियान नाहीं देत।
14 अय्यूब, इहइ तरह जब तू परमेस्सर क समन्वा आपन मामला पइ
    बहस कइ बरे इन्तजार करत ह,
अउर अगर तू सिकायत करत ह कि उ तोहरे समन्वा प्रकट नाहीं होइही,
    तउ परमेस्सर तोहका जवाब नाहीं देब्या।

15 “अय्यूब, तू सोचत अहा कि परमेस्सर दुस्टन क सजा नाहीं देत ह
    अउर परमेस्सर पाप पइ धियान नाहीं देत ह।
16 एह बरे अय्यूब आपन बेकार क बातन करत रहत ह।
    अय्यूब बहोत बोलतह मुला उ नाहीं जानत कि उ का कहत रहत ह।”